नई दिल्ली: ठीक एक साल पहले यानी 8 नंबवर 2016 को नोटबंदी का ऐलान हुआ था। एक साल बाद अब इसी मुद्दे पर बुधवार को देश में सियासी घमासान मचेगा। कांग्रेस जहां काला दिवस मनाएगी, वहीं भाजपा काला धन विरोधी दिवस बताकर जश्म मनाएगी।
इसी क्रम में एक दिन पहले ही दोनों दलों के नेताओं ने मोर्चा तैयार कर लिया। नोटबंदी की सालगिरह के एक दिन पहले मंगलवार को विपक्ष और सरकार के बीच जुबानी जंग तेज हो गई। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इतिहास का पन्ने देखने की नसीहत दी है।
नोटबंदी को संगठित लूट बताने वाले डॉ. सिंह पर पलटवार करते हुए जेटली ने कहा कि नोटबंदी का फैसला एक नैतिक कदम और अभियान था। जो नैतिक रूप से सही होता है, वही सही राजनीति भी होती है। नोटबंदी का फैसला उचित था और सरकार इसके लक्ष्य व परिणाम से संतुष्ट है। हालांकि इसका पूरा स्वरूप कुछ दिनों बाद सामने आएगा।
मनमोहन गुजरात में लघु व मध्यम व्यवसायियों से रूबरू थे। जबकि जेटली दिल्ली में मीडिया से। वित्त मंत्री ने कहा कि पैसे बैंकों में आने से नोटबंदी की सफलता को नहीं आंका जाना चाहिए। नोटबंदी देश की अर्थव्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए थी। वह हो रहा है। इससे भ्रष्टाचार पूरी तरह खत्म होगा ऐसा नहीं कहा जा सकता, लेकिन अब भ्रष्टाचार मुश्किल है।
मनमोहन सिंह के लूट संबंधी बयान पर जेटली ने कहा कि लूट तो कांग्रेस काल में हुआ करती थी। लूट वह होती है जो 2जी, कोल और कॉमनवेल्थ घोटालों में कांग्रेस काल में हुई। कांग्रेस का लक्ष्य है परिवार की सेवा, हमारा लक्ष्य है देश की सेवा।
देश के आर्थिक हालात पर मनमोहन की टिप्पणी पर भी एतराज जताते हुए जेटली ने कहा कि देश की 2014 से पहले और बाद की आर्थिक स्थिति की तुलना कर लें तो जवाब मिल जाएगा। २०१४ से पहले जो हालात थे उसमें भारत के ब्रिक्स से बाहर होने की आशंका होने लगी थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीतिगत पंगुता हावी थी। आज ऐसी कोई एजेंसी नहीं है जो भारत में हो रहे सुधारों की प्रशंसा न कर रही हो।