नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी करार दिया गया है। उनको प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने उनको दोषी करार दिया। नवाज का नाम पनामा पेपर में आया था। यह मामला 1990 के दशक में उस वक्त धनशोधन के जरिए लंदन में सपंत्तियां खरीदने से जुड़ा है जब शरीफ दो बार प्रधानमंत्री बने थे।
शरीफ के परिवार की लंदन में इन संपत्तियों का खुलासा पिछले साल पनामा पेपर्स लीक मामले से हुआ। इन संपत्तियों के पीछे विदेश में बनाई गई कंपनियों का धन लगा हुआ है और इन कंपनियों का स्वामित्व शरीफ की संतानों के पास है। इन संपत्तियों में लंदन स्थित चार महंगे फ्लैट शामिल हैं।
वह पाकिस्तान के सबसे रसूखदार सियासी परिवार और सत्तारूढ़ पार्टी पीएमएल-एन के मुखिया हैं। इस्पात कारोबारी-सह-राजनीतिज्ञ शरीफ पहली बार 1990 से 1993 के बीच प्रधानमंत्री रहे। उनका दूसरा कार्यकाल 1997 में शुरू हुआ जो 1999 में तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद खत्म हो गया।
सर्वोच्च न्यायालय ने शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए इसी साल मई में संयुक्त जांच दल (जेआईटी) का गठन किया था। जेआईटी ने गत 10 जुलाई को अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी।
इस ऐतिहासिक फैसले को सुनाने वाली पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ की अध्यक्षता न्यायमूर्ति आसिफ सईद खोसा ने की, जिन्होंने 20 अप्रैल के फैसले में मारियो पुजो के उपन्यास ‘द गॉडफादर’ के वाक्यांश का हवाला देते हुए राष्ट्र के प्रति ईमानदार न होने के लिए शरीफ को ‘अयोग्य’ घोषित किया था।