नई दिल्ली – मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड जकी उर रहमान लखवी का वॉइस सैंपल भारत को मुहैया कराने का पाक पीएम नवाज शरीफ का वादा हवा-हवाई है? क्या पाक पीएम ने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से लखवी के वॉइस सैंपल को लेकर झूठा वादा किया था? ये सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं, क्योंकि लखवी के वकील ने पाकिस्तान के कानून का हवाला देते हुए कहा है कि उनका क्लाइंट वॉइस सैंपल नहीं देगा।
ऐसे में पाक पीएम नवाज शरीब के वादे के बावजूद भारत को मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड जकिउर रहमान लखवी का वॉइस सैंपल नहीं मिल सकता है। ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान रूस के उफा में भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीब के बीच आतंकवाद के खिलाफ बनी सहमति के एक दिन बाद ही लखवी के वकील ने कहा है कि उनका क्लाइंट (लखवी) अपना वॉइस सैंपल नहीं देगा और इसके लिए उस पर दबाव भी नहीं बनाया जा सकता।
लखवी के वकील रिजवान अब्बासी ने कहा, ‘मेरे क्लाइंट ने पहले भी इससे (वॉइस सैंपल देने से) इनकार किया था और आगे भी करेगा।’ अब्बासी ने आगे कहा कि पाकिस्तान का कानून आरोपी की इच्छा के खिलाफ ऐसा करने का अनुमति नहीं देता है। उन्होंने कहा, ‘हमारे कानून के मुताबिक, आरोपी की सहमति लेनी होती है।’
अब्बासी ने यह भी कहा कि वह भविष्य में कभी भी वॉइस सैंपल की प्रॉसिक्यूशन की मांग का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा, ‘सबूत की कानूनी अहमियत क्या है, सात साल में इसे नहीं बताया जा सका। यह मेरे दावे को मजबूत करता है कि लखवी के खिलाफ सौंपे गए सबूत कमजोर हैं।’
इससे पहले ‘सबूत के अभाव में’ दिसंबर 2014 में लखवी को बेल देने वाली पाकिस्तान की आतंक रोधी अदालत ने भी उसका (लखवी का) वॉइस सैंपल मांगने वाली एक याचिक यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि देश का कानून इसके लिए आरोपी के अनुमति की मांग करता है। तब जज ने आतंकियों और उन्हें हैंडल कर रहे उनके आकाओं के बीच बातचीत की रिकॉर्डिंग वाली सीडी को भी फेंक दिया था।
एक अधिकारी ने बताया कि तब जज ने यह सवाल किया था कि सीडी में रिकॉर्ड बातचीत से यह कैसे साबित किया जा सकता है कि आवाज आतंकियों के ही हैं। जज ने पूछा कि क्या किसी ने संबंधित आतंकियों के आवाज की जांच की?
बहरहाल, ऐसे में भारत को लखवी का वॉइस सैंपल तभी मिल सकता है जब पाकिस्तान अपने मौजूदा कानून में बदलाव करे। शायद दोनों देशों के नैशनल सिक्यॉरिटी अडवाइजरों की मीटिंग में इसके विकल्पों पर भी विचार हो। हालांकि, भारत के एक अधिकारी के मुताबिक, पाकिस्तान के कानून में बदलाव की उम्मीद करना जल्दीबाजी होगी क्योंकि यूएन द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भी जमात-उद-दावा (लश्कर के राजनीतिक संगठन) के खिलाफ उसने कोई कदम नहीं उठाया, जबकि मुंबई हमलों के सात साल हो गए।
गौरतलब है कि मोदी और शरीफ की बैठक के बाद संयुक्त बयान जारी किया गया। पांच सूत्री रोडमैप दर्शाते एक पेज के इस बयान में कहा गया, ‘दोनों पक्ष मुंबई हमले से जुड़े (पाकिस्तान में चल रहे) मुकदमे की कार्यवाही तेज करने के तौर तरीकों पर चर्चा को सहमत हो गए। इसमें ‘आवाज के नमूने’ मुहैया कराने जैसी अतिरिक्त सूचनाएं शामिल हैं।’
मुंबई में 2008 में हुए आतंकी हमले के पाकिस्तान की अदालत में चल रहे मुकदमे की कार्यवाही लगभग नहीं के बराबर चलने से भारत काफी नाराज था। हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर ए तय्यबा के कमांडर जकी उर रहमान लखवी को अदालत द्वारा रिहा करने का भी भारत ने कड़ा विरोध किया। पाकिस्तानी सरकार की ओर से अपेक्षित सबूत नहीं पेश नहीं करने के कारण लखवी अदालत से रिहा हो चुका है।