मध्य प्रदेश के नीमच से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित है।इस मंदिर को को भादवा माता धाम कहा जाता है। इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार यह माना जाता है कि यहां हर रात माता अपने मंदिर के गर्भ गृह से निकलकर मंदिर के प्रांगण में टहलती हैं।
टहलते समय माता की जिस पर कृपा हो जाती है वह रोग मुक्त हो जाता है। माता के इस चमत्कार के कारण यहां पूरे साल लकवा, कोढ़ और नेत्रहीनता से पीड़ित भक्तों का आना लगा रहता है।
बहुत से भक्त इस स्थान से रोग मुक्त होकर अपने घर को वापस जाते रहते हैं।भादवा माता मंदिर के प्रांगण में एक प्राचीन बावड़ी है। इस बावड़ी के विषय में मान्यता है कि भक्तों को रोग मुक्त करने के लिए माता ने यहां जमीन से जल निकाला था।
इस बावड़ी पर माता की असीम कृपा है। लोग बताते हैं मंदिर का जल अमृत तुल्य है। माता ने कहा है कि जो भी इस बावड़ी के जल से स्नान करेगा, वह रोग मुक्त हो जाएगा।
इस मंदिर का नियम है कि जो भी भक्त यहां से रोग मुक्त होकर जाते हैं या जिनकी मुराद माता पूरी करती हैं वह मंदिर में जिंदा मुर्गे व बकरे भेंट करते हैं।
यह मुर्गे और बकरे आरती के समय भक्तों की भीड़ में इस प्रकार शामिल होते हैं जैसे वह भी मां की आरती कर रहे हों। कुछ भक्त अपनी मुराद के अनुसार चांदी और सोने की आंख भी चढ़ाते हैं।
बहुत से भक्त इस स्थान से रोग मुक्त होकर अपने घर को वापस जाते रहते हैं।भादवा माता मंदिर के प्रांगण में एक प्राचीन बावड़ी है। इस बावड़ी के विषय में मान्यता है कि भक्तों को रोग मुक्त करने के लिए माता ने यहां जमीन से जल निकाला था।
इस बावड़ी पर माता की असीम कृपा है। लोग बताते हैं मंदिर का जल अमृत तुल्य है। माता ने कहा है कि जो भी इस बावड़ी के जल से स्नान करेगा, वह रोग मुक्त हो जाएगा।
इस मंदिर का नियम है कि जो भी भक्त यहां से रोग मुक्त होकर जाते हैं या जिनकी मुराद माता पूरी करती हैं वह मंदिर में जिंदा मुर्गे व बकरे भेंट करते हैं।
यह मुर्गे और बकरे आरती के समय भक्तों की भीड़ में इस प्रकार शामिल होते हैं जैसे वह भी मां की आरती कर रहे हों। कुछ भक्त अपनी मुराद के अनुसार चांदी और सोने की आंख भी चढ़ाते हैं।
neemuch bhadwa mata