काठमांडू – नेपाल के सांसदों ने देश को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। संविधान सभा (सीए) ने साफ किया कि नेपाल एक धर्मनिरपेक्ष देश बना रहेगा। सात साल पहले नेपाल को धर्मनिरपेक्ष देश घोषित किया गया था। हिमालयन टाइम्स के मुताबिक, 601 सदस्यीय सीए ने देश के नए संविधान के एक-एक अनुच्छेद पर एक-एक कर मत दिया है और देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखने पर सहमति जताई है।
दुनिया के एकमात्र हिंदू राष्ट्र नेपाल को मई 2008 में एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित कर दिया गया था। राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी-नेपाल के कमल थापा और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अमृत बोहोरा ने मांग की थी कि संविधान से धर्मनिरपेक्षता को हटाकर नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए। सीए के अध्यक्ष सुबास चंद्र नेमबांग ने दोनों पार्टियों के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। इसके बाद कमल थापा ने अपने प्रस्ताव पर मतदान की मांग की। थापा के प्रस्ताव पर वोटिंग हो या नहीं, पहले यह जानने के लिए मत लिए गए।
601 सदस्यीय संविधान सभा में थापा के प्रस्ताव के पक्ष में महज 21 मत पड़े। नियम के हिसाब से किसी प्रस्ताव को तभी मतदान के लिए रखा जाता है, जब उसे सीए के 61 सदस्यों का समर्थन हासिल होता है। इस तरह नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने का प्रस्ताव वोटिंग के राउंड तक भी नहीं पहुंच सका।