नई दिल्लीः रेल मंत्रालय के तहत काम करने वाले संगठन इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेटशन (Indian Railway Station Development Corporation) को इसलिए ही बनाया गया है। यह संगठन इस समय चल रहे रेलवे स्टेशनों के रिडेवलपमेंट (Railway Station Redevelopment) के नाम पर रेल मंत्रालय से लेता है और फिर किसी दिन उसे निजी हाथों में देने के लिए रिक्वेस्ट फोर क्वालिफिकेशन (RFQ) मंगवा लेता है। एक बार किसी स्टेशन का RFQ आ गया, उसके बाद तो फिर अपने आप काम हो जाता है।
रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (NDLS) को किसी निजी कंपनी को सौंपने के लिए पिछले साल ही कवायद शुरू की थी। यूं तो कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से इसके काम में देरी हुई। लेकिन अब इसके रिक्वेस्ट फोर क्वालिफिकेशन (RFQ) की प्रक्रिया में कुल 9 कंपनियां योग्य पाई गई हैं। योग्य पाई गई कंपनियों में जीएमआर (GMR) और अडानी (Adani) समूह भी शामिल है।
इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेशन (IRSDC) द्वारा तैयार एक अद्यतन सूची के मुताबिक इस निगम को कुल 715 रेलवे स्टेशन सौंपे जाएंगे। ये रेलवे स्टेशन देश के विभिन्न राज्यों में स्थित हैं। इस सूची में पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर डिवीजन का स्टेशन पावापुरी और नवादा भी शामिल है। इसके अलावा पटना साहिब, फतुहा, बख्तियारपुर, बाढ़, किउल और मोकामा जैसे स्टेशनों का भी नाम है।
इस सूची में बिहार के पिछड़े इलाके के कटिहार (Northeast Frontier Railway), जोगबनी (Jogbani) और अररिया (Araria Court) कोर्ट जैसे स्टेशनों का नाम है तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कद्दावर नेता सैयद शहनवाज हुसैन से जुड़े किशनगंज का भी नाम है। यही नहीं, पूर्णिया, नौगछिया, सोनपुर, बगहा, नरकटियागंज, जयनगर, रक्सौल, खगड़िया, जैसे स्टेशनों का भी नाम है।
सरकार के रेलवे स्टेशनों के निजीकरण से छोटे कारोबारियों का कारोबार भी छिन सकता है। स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपने के साथ ही पारंपरिक खानपान स्टॉल की जगह फूड कोर्ट बनाने से रेलवे स्टेशनों के लाइसेंसी वेंडरों में नाराजगी है। ऐसा होन पर महज 10 रुपये में यात्रियों को गरमा गरम पूड़ी-सब्जी खिलाने वाले वेंडर कहां जाएंगे? अखिल भारतीय रेलवे खानपान लाइसेंसीज वेलफेयर एसोसिएशन का आरोप है कि खानपान व्यवस्था बड़ी प्राइवेट कंपनियों के हवाले करने से इन वेंडरों का कारोबार खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही इनके यहां काम करने वाले लोग भी बेरोजगार हो जाएंगे।