नई दिल्ली- सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर 10 साल से कोर्ट में विचाराधीन मामले में आज महिलाओं के मंदिर जाने के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदु धर्म में पुरूष और महिलाओं में कोई अंतर नहीं है ! ऐसे में महिलाओं को मंदिर में जाने से कैसे रोका जा सकता है? सर्वोच्च न्यायालय का ये सवाल मंदिर ट्रस्ट से किया गया !
बता दें कि इससे पहले कोर्ट ने सोमवार को मंदिर ट्रस्ट से पूछा था कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर क्यों रोक लगाई गई है ! कोर्ट ने कहा था कि संवैधानिक तौर पर लिंग के आधार पर भेदभाव करने की इजाजत नहीं है ! संविधान में सब बराबर हैं. तो फिर महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति क्यों नहीं है ! कोर्ट ने कहा, ‘ईश्वर सर्वव्याप्त है ! उनकी कोई भी पूजा कर सकता है’ ! कोर्ट ने सवाल किया कि क्या परंपरा संविधान से ऊपर है !
बता दें कि इस मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं को अशुद्ध मानकर प्रवेश की अनुमति नहीं है ! सबरीमाला में महिलाओं के बैन का यह मामला 10 साल से कोर्ट में विचाराधीन है ! यह प्रतिबंध केरल में ज्यादातर मंदिरों का प्रबंधन देखने वाली संस्था त्रावणकोर देवासम बोर्ड ने लगाया है !