लखनऊ– एक ओर जहां पूरे देश में शेरों की संख्या बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय क्रार्यक्रम चल रहा है ! वहीं महज यूपी की सपा सरकार के हठधर्मितापूर्ण रवैये से एक-एक करके शेरों की मौत हो रही है। अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट इटावा लायन सफारी में पिछले दो वर्षों के दौरान हुई अब तक नौ शेरों की मौत एक सामान्य घटना नहीं है।
इटावा लायन सफारी में शेरो की लगातार हो रही मौतों पर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता ने चिंता जताते हुए कई सवाल उठाये है। भाजपा ने मुख्यमंत्री से सवाल किया है की आखिर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाने के बाद भी इटावा लायन सफारी में शेरों की मौतें क्यों नहीं थम रही हैं?
सपा मुखिया मुलायम सिंह को खुश करने के लिए राज्य सरकार इटावा में लायन सफारी का निर्माण करने में तो जुट गई लेकिन विशेषज्ञों से इस बात का कोई सर्वे नहीं कराया कि इटावा-ग्वालियर बाइपास के किनारे फैला बीहड़ शेरों के रहने के लिए अनुकूल है कि नहीं। यही वजह है कि ३५० एकड़ में फैले इटावा लायन सफारी में आते ही शेर बीमार पड़ रहे है और उनकी मौत हो रही है। इसके बावजूद सपा सरकार अभी तक लायन सफारी में शेरों के रहने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं कर पाई है।
सफारी के भीतर बने अस्पताल में शेरों के इलाज के लिए जरूरी सुविधाएं ही नहीं हैं। दिखावे के नाम पर पिछले वर्ष शेरों के मौत होने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बड़े पैमाने पर सफारी के प्रशासन और वन्य जीव विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की थी। इसके बाद अधिकारियों और विशेषज्ञों का एक दल शेरों की देखभाल सीखने लंदन के लौंगलीट सफारी की सैर करने भी गया था।
पिछले फरवरी माह में लौंगलीट सफारी की एक टीम ने लायन सफारी पहुंचकर यहां शेरों के रखरखाव पर चर्चा की थी साथ ही अस्पताल की व्यवस्था को और दुरुस्त करने का सुझाव भी दिया था। बावजूद इसके सपा सरकार ने अभी तक लायन सफारी के भीतर बने अस्पताल में न तो पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों की तैनाती की है और न ही शेरों के इलाज में विशेज्ञता रखने वाले किसी डॉक्टर को यहां तैनात किया है।
पिछले महीने इटावा लायन सफारी में बरेली पशु अनुसंधान केंद्र से आए विशेषज्ञों के एक दल ने यहां के शेरों के ‘कैनाइन डिस्टेंपर’ नाम की बीमारी से पीड़ित होने की बात कही थी, बावजूद इसके सरकार ने इनके लिए के लिए समय रहते कोई उल्लेखनीय प्रयास नहीं किया। इसी का खमियाजा कुबेर नाम के शेर की मौत के रूप में उठना पड़ा है।
@शाश्वत तिवारी