नई दिल्ली: 16 दिसंबर 2012 निर्भया गैंगरेप मामले में सोमवार को सजायाफ्ता मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में खुली अदालत में सुनवाई होगी। मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच करेगी। बेंच में CJI दीपक मिश्रा, जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस अशोक भूषण होंगे। सजायाफ्ता मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है और याचिका में फांसी की सजा पर फिर से विचार करने की गुहार लगाई है।
याचिका में फांसी पर अंतरिम रोक की मांग की गई है। पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई खुली अदालत में होगी। दरअसल पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने आदेश दिया था कि फांसी की सजा के मामलों में तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी और पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई होगी।
5 मई को दिल्ली ही नहीं बल्कि देश को हिला देने वाले 16 दिसंबर 2012 के दिल्ली गैंगरेप मामले में चार दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा था। फैसले के दौरान निर्भया के माता-पिता कोर्ट में मौजूद थे। फैसला सुनकर निर्भया की मां की आंखों में आंसू आ गए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा-सेक्स और हिंसा की भूख के चलते बड़ी वारदात को अंजाम दिया। दोषी अपराध के प्रति आसक्त थे। जैसे अपराध हुआ, ऐसा लगता है अलग दुनिया की कहानी है। जजों के फैसला सुनाने के बाद कोर्ट में तालियां बजीं।
गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी। दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी। इसके बाद तीन जजों की बेंच को मामले को भेजा गया और कोर्ट ने केस में मदद के लिए दो एमिक्स क्यूरी नियुक्त किए गए थे।