बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा को लेकर अहम फैसला लिया है। इंटर परीक्षा में जीरो रिजल्ट लाने वाले स्कूलों के 50 साल से अधिक उम्र के टीचरों को सरकार अनिवार्य सेवानिवृत्ति देगी। दैनिक जागरण में छपी खबर के मुताबिक- नीतीश कुमार ने शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस साल इंटर की परीक्षा में जिस स्कूल का एक भी विद्यार्थी पास नहीं हुआ, ऐसे विद्यालयों की संख्या 250 के करीब है। वहां के शिक्षकों पर गाज गिरेगी। जीरो रिजल्ट वाले जिलों में तैनात शिक्षा विभाग के अफसरों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होगी।
बिहार में इस बार ग्रेस मार्क्स मिलने के बावजूद 50.32 प्रतिशत स्टूडेंस पास हुए। यानी आधे स्टूडेंट्स (49 प्रतिशत) फेल हो गए हैं। 10वीं में 51.37 प्रतिशत छात्र और लगभग 40 फीसदी छात्राएं पास हुईं। पिछले साल का रिजल्ट इससे भी खराब रहा था। 2016 में महज 44.66 प्रतिशत विद्यार्थी पास हुए थे।
टॉपर घोटाले के बाद सरकार थी सतर्क
पिछले साल की तरह बोर्ड की किरकिरी न हो और रिजल्ट बिना किसी हेराफेरी व पूरी पारदर्शिता के साथ जारी हो, इसके लिए कई कदम उठाए गए थे। पिछले साल टॉपर घोटाला सामने आने के बाद जमकर बवाल मचा था। कई बड़े अधिकारियों की गिरफ्तारियां हुई थीं। इतना ही नहीं हाल ही में 30 मई को जारी किए गए 12वीं के रिजल्ट में भी टॉपर्स की काबिलियत पर सवाल उठे। ऐसे में बोर्ड ने इस बार फूंक-फूंक कर कदम रखा था।
12वीं का रिजल्ट भी खराब
इस वर्ष बिहार में 12वीं कक्षा के परिणाम निराशाजनक रहे थे। इस साल साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स स्ट्रीम में परीक्षा में शामिल हुए कुल 12,40,168 विद्यार्थियों में से केवल 35 प्रतिशत ही पास हुए थे, यानि 4,37,115 छात्र उत्तीर्ण हुए और बाकी फेल हो गए… 4,37,115 में से केवल 8.34 प्रतिशत यानि 1,03,460 छात्र फर्स्ट डिवीज़न में उत्तीर्ण हुए, जबकि 2,93,260 यानि 23.65 प्रतिशत छात्र सेकेंड डिवीज़न, जबकि 40,395 छात्र थर्ड डिवीज़न से उत्तीर्ण हुए थे।