बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) तय समय-सीमा से दो साल पहले ही यानी इस साल के आखिर में दिसंबर में राज्य में विधान सभा चुनाव कराने को तैयार है। सोमवार (08 जनवरी) को पार्टी के महासचिव के सी त्यागी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस विचार से सहमत है कि देश में लोकसभा और विधान सभाओं के चुनाव एक साथ होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले ही प्रधानमंत्री के इस विचार को ‘बहुत अच्छा प्रस्ताव’ कह चुके हैं। त्यागी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लगता है कि इससे न केवल देश में चुनावी माहौल के वातावरण में कमी आएगी बल्कि इससे चुनी हुई सरकारों को काम करने का अधिकतम वक्त मिल सकेगा।
त्यागी से जब पूछा गया कि क्या जदयू समय पूर्व चुनाव के लिए तैयार है तो उन्होंने कहा, “इस साल नवंबर-दिसंबर में तीन बड़े राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं।
इनके अलावा तीन बड़े राज्य तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा विधान सभा का कार्यकाल साल 2019 में लोकसभा के कार्यकाल के साथ पूरा हो रहा है। ये सभी चुनाव 2018 दिसंबर में एक साथ कराए जा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो हम भी विधानसभा के बचे दो साल के कार्यकाल से पहले ही चुनाव में जाना पसंद करेंगे।”
बता दें कि बिहार विधान सभा का चुनाव साल 2015 में अक्टूबर-नवंबर में हुआ था। तब नीतीश कुमार की पार्टी जदयू, लालू यादव की पार्टी राजद और कांग्रेस ने मिलकर महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था। इस गठबंधन को 243 सदस्यों वाले विधान सभा में कुल 178 सीटें मिली थीं। इनमें से सबसे ज्यादा लालू यादव की पार्टी राजद को 80, नीतीश की जदयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिली थीं। बीजेपी को 53 सीटें और उनके सहयोगी दलों को पांच सीटें मिली थीं।
नवंबर 2015 में महागठबंधन की सरकार में नीतीश कुमार ने फिर से राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली लेकिन करीब 20 महीने बाद यह महागठबंधन टूट गया। नीतीश कुमार ने जुलाई 2017 में फिर बीजेपी के सहयोग से राज्य में सरकार बना ली। फिलहाल जदयू बीजेपी की सहयोगी पार्टी है और एनडीए का सदस्य है।