पटना- बिहार में योग दिवस न मानने के कारण भाजपा के हमले झेल रहे राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को उलटा भाजपा के सामने ही सवालों की झड़ी लगा दी।
नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी से पूछा कि क्या योगा में शराब पीने की अनुमति दी जाती है? अगर नहीं तो क्या उनका दायित्व नहीं हैं कि योग दिवस के उपलक्ष्य में शराब की ख़रीद बिक्री पर पहले पाबंदी लगायी जाए। कम से कम प्रधानमंत्री जी भाजपा शासित राज्य में पाबंदी की घोषणा कर देते तो योग का सम्मान होता।
नीतीश रविवार को झारखंड के पलामू में शराबबंदी के मुद्दे पर आयोजित महिलाओं के एक सभा को सम्बोधित कर रहे थे। झारखंड में नीतीश कुमार ने इससे पूर्व धनबाद में भी एक महिलाओं के सम्मेलन में भाग लिया था जहां झारखंड विकास मोर्चा के बाबूलाल नारंगी खुल कर इस मुद्दे पर उनके साथ आए थे। नीतीश ने आज भी दोहराया की झारखंड में अगर लोगों ने साथ दिया तो बाबूलाल मुख्यमंत्री होंगे।
योगा दिवस के मुद्दे पर अपनी आलोचना पर नीतीश ने खुलकर जवाब दिया और कहा कि मुझे मालूम नहीं कि प्रधानमंत्री कब से योग कर रहे हैं लेकिन में वर्षों से योग के आसन, प्राणायाम और योग निंद्रा नियमित रूप से करता रहा। लेकिन योग में शराब के सेवन की अनुमति नहीं दी जाती। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री जी बिना शराब पर पाबंदी लगाए कैसा योग दिवस मनाया जा रहा है।
नीतीश ने आरोप लगाया कि हर चीज़ को एक इवेंट में बदल कर मूल विषय से ध्यान भटकाया जाता है अगर प्रधानमंत्री जी आप योग दिवस मनाना चाहते हैं तो पहले शराब बिक्री पर पाबंदी लगाएं, उसके बाद मैं भी आपके साथ खड़ा रहूंगा। नीतीश ने झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास पर बोलते हुए कहा कि शराब बंदी के मुद्दे पर बिहार का समर्थन करने के बजाय उन्होंने पूरे राज्य में शराब की बिक्री बढ़ा दी जो साबित करता हैं कि झारखंड सरकार इस मुद्दे पर कितना गम्भीर है।