इसे लोकतंत्र की विडंबना ही कहा जा सकता है कि लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव को सीबीआई द्वारा भ्रष्टाचार के मुकदमे में आरोपी बनाए जाने के बाद राजद और कांग्रेस से गठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार के नए मंत्रिमंडल में पहले से ज्यादा ऐसे मंत्री हैं जिन पर कोई न कोई आपराधिक मामला चल रहा है।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार नीतीश कुमार समेत उनके कैबिनेट के 29 लोगों में से 22 पर आपराधिक मामले चल रहे हैं। जबकि “महागठबंधन” सरकार में नीतीश कुमार समेत उनके कैबिनेट के कुल 28 मंत्रियों में से 19 पर ही आपराधिक मुकदमे चल रहे थे।
एडीआर ने नीतीश कैबिनेट में शामिल नेताओं के चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे के विश्लेषण के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार की है। नीतीश कुमार के मौजूदा मंत्रिमंडल में 22 मंत्रियों ने आपराधिक मामले और नौ गंभीर आपराधिक मामले का आरोपी होने की बात अपने-अपने हलफनामों में स्वीकार की है।
नीतीश कुमार के मौजूदा मंत्रिमंडल के नौ मंत्रियों की शिक्षा कक्षा आठ से 12 के बीच है। वहीं 18 के पास स्नातक या उससे ऊंची डिग्री है। नीतीश की पिछली कैबिनेट में जहां दो महिला मंत्री थीं, वहीं मौजूदा कैबिनेट में केवल एक महिला मंत्री हैं।
हालांकि नीतीश के मौजूदा मंत्रिमंडल में करोड़पति मंत्रियों की संख्या कम हुई है। नीतीश की पिछली कैबिनेट में 22 करोड़पति मंत्री थे जबकि मौजूदा कैबिनेट में 21 करोड़पति हैं।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार नीतीश कैबिनेट की औसत संपत्ति 2.46 करोड़ रुपये है। नीतीश कुमार ने 26 जुलाई को महागठबंधन तोड़ते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अगले ही दिन उन्होंने सीएम पद की दोबारा शपथ ली। उनके साथ बीजेपी नेता सुशील मोदी ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। दो दिन बाद नीतीश ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया और 14 जदयू, 12 बीजेपी और लोसपा के एक नेता को अपने मंत्रिमंडल में जगह दी।
नीतीश कुमार की पिछली कैबिनेट में लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम थे, जबकि लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव राज्य के स्वास्थ्य मंत्री थे। जून में सीबीआई ने लालू यादव पर साल 2006 में रेल मंत्री रहने के दौरान आईआरसीटीसी के दो होटलों के रखरखाव का ठेका पटना के एक कारोबारी को देने और उसके बदल कीमती जमीन लेने का मामला दर्ज किया। इस मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी के अलावा तेजस्वी यादव को भी अभियुक्त बनाया गया है।
तेजस्वी के नाम पर भ्रष्टाचार की एफआईआर के बाद जदयू उनका चाहती थी कि वो इस्तीफा दें। लेकिन राजद का कहना था कि लालू परिवार के सदस्यों पर की गई एफआईआर राजनीतिक से प्रेरित है।