महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना के उस दावे को नकार दिया है जिसमें उसका कहना है कि सरकार बनाने को लेकर 50:50 का फॉमूला तय हुआ था। फडणवीस ने मंगलवार को दिए बयान में कहा, उनके अध्यक्ष ने साफ किया है कि शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए कोई फॉर्मूला तय नहीं था। उन्होंने कहा कि सरकार बनाने का कोई फॉर्मूला अभी तक तय नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व में ही सरकार बनेगी और सामना में छपे लेख से वह खुश नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले जब गठबंधन को अंतिम रूप दिया गया था तब शिवसेना से ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद का वादा नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि अगले पांच साल तक मैं मुख्यमंत्री रहूंगा।
शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा ही ”सत्य की राजनीतिकी है और वह सत्ता की भूखी नहीं है।महाराष्ट्र में हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 105 और शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं और राज्य की अगली सरकार में सत्ता में भागीदारी को लेकर दोनों के बीच तकरार चल रही है। राउत ने यहां संवाददाताओं से कहा ”(शिवसेना अध्यक्ष) उद्धव ठाकरे ने कहा है कि हमारे पास अन्य विकल्प भी हैं लेकिन हम उन विकल्पों को स्वीकार करने का पाप नहीं करना चाहते …. शिवसेना ने सत्य की राजनीति की है और पार्टी सत्ता के लिए भूखी नहीं है।
भाजपा शिवसेना के बीच गठबंधन होने के बावजूद महाराष्ट्र में सरकार बनाने में विलंब होने के बारे में पूछने पर राउत ने कहा ”महाराष्ट्र में कोई दुष्यंत नहीं है जिसके पिता जेल में हों। उनका इशारा हरियाणा के उप मुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला की ओर था। राउत ने सोमवार को कहा था कि उनकी पार्टी को महाराष्ट्र में अगली सरकार बनाने के वास्ते विकल्प खोजने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि ”राजनीति में कोई संत नहीं हैं।
उन्होंने दावा किया था दोनों पार्टियां सत्ता में समान भागीदारी के फार्मूले पर सहमत थीं और मुंबई में तो इस बारे में घोषणा भी कर दी गई थी। राउत संसद में शिवसेना के मुख्य सचेतक और पार्टी के मुखपत्र ‘सामना के कार्यकारी संपादक हैं। शिवसेना के एक अन्य नेता ने मंगलवार को कहा था कि मेलघाट, अचलपुर, रामटेक और नेवासा सीटों के चार निर्दलीय विधायकों ने ठाकरे से मुलाकात कर उनकी पार्टी को अपना समर्थन देने का आग्रह किया था।
उन्होंने दावा किया था कि शिवसेना के पास अब 60 विधायकों का समर्थन है। 21 अक्टूबर को हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के विधायकों की संख्या 2014 की तुलना में घट गई जिसके बाद शिवसेना सत्ता में बराबर की भागीदारी पर जोर दे रही है। पिछले सप्ताह ठाकरे ने भाजपा को उनके तथा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह एवं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 50:50 के फार्मूले पर बनी सहमति की याद दिलाई थी।
शिवसेना ने राज्य में अगली गठबंधन सरकार बनाने का दावा करने के बारे में बातचीत करने से पहले भाजपा से ”सत्ता में बराबर की भागीदारी के फार्मूले के कार्यान्वयन का लिखित आश्वासन मांगा है। महाराष्ट्र में 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं। शरद पवार नीत राकांपा ने 54 सीट जीतीं, जबकि कांग्रेस के हिस्से 44 सीट आई हैं।
गत 24 अक्टूबर को चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद से ही कांग्रेस-राकांपा गठबंधन के तबकों की ओर से ऐसे संकेत मिलते रहे हैं कि राज्य में भाजपा से परे सरकार गठन का शिवसेना का कदम हकीकत में बदल सकता है। हालांकि, कांग्रेस-राकांपा की ओर से इस बारे में औपचारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है।- एजेंसी