नागरिकता कानून 10 जनवरी से देश भर में लागू हो चुका है। इस कानून को लेकर अभी भी देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं।
देश में कई गैर-बीजेपी शासित राज्य पहले ही कह चुके हैं कि वह अपने राज्य में सीएए (CAA) को लागू नहीं होने देंगे।
अब महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार ने कहा है कि वह राज्य में सीएए को लागू नहीं होने देगी।
वहीं महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और राज्य में कांग्रेस के अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने सीएए को लेकर कहा है कि हमारी भूमिका स्पष्ट है, हम सीएए को महाराष्ट्र में लागू नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों का साझा बयान जारी होगा। थोराट ने कहा कि न्यायालय का फैसला आने तक हम इंतजार करेंगे।
वहीं महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने रविवार को कहा कि केंद्र सरकार कानून जरूर बना सकती है, लेकिन उसे लागू करने का जिम्मा पूरी तरह राज्य सरकार के पास होता है।
नागपुर में ‘वी द सिटिजंस ऑफ इंडिया’ द्वारा आयोजित विरोध रैली में देशमुख ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में हमारी सरकार है और केंद्र सरकार कानून जरूर बना सकती है लेकिन इसे लागू करना या नहीं करना राज्य सरकार के हाथ में होता है।’’
कांग्रेस के नेता और महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने भी रैली में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि राज्य सीएए को लागू नहीं करेगा।
राउत ने कहा, ‘‘हालांकि, वो (केंद्र) भले प्रयास कर लें महाराष्ट्र सरकार इस कानून (सीएए) को राज्य में लागू नहीं होने देगी।’’
महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रस पार्टी और कांग्रेस शामिल हैं ।
गृह मंत्री देशमुख ने कहा कि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी जैसे नेताओं ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर जैसे विभाजनकारी कदमों का संसद में विरोध किया था।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र देश में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच विभाजन पैदा करने के लिए ऐसे कानून ला रहा है ।
बता दें सीएए, एनआरसी और देश के हालातों को लेकर विपक्ष ने सोमवार को एक बैठक की। हालांकि इस बैठक से शिवसेना ने दूरी बनाई।
शिवसेना ने कहा कि उन्हें कांग्रेस ने मीटिंग के बारे में कुछ नहीं बताया। वहीं एनसीपी के नेता इस बैठक में शरीक हुए।