केरल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्य नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध कर रहे हैं। केरल और पंजाब तो इसके विरोध में प्रस्ताव भी पास कर चुके हैं।
इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल ने कहा है कि संसद से पारित हो चुके सीएए को लागू करने से कोई राज्य इनकार नहीं कर सकता और ऐसा करना असंवैधानिक होगा।
सिब्बल का बयान काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि उनकी पार्टी इस मुद्दे पर विपक्ष को एकजुट करके सरकार पर दबाव बनाने में जुटी है।
पूर्व कानून मंत्री ने केरल साहित्य उत्सव के तीसरे दिन साफ कहा, ‘जब सीएए पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि मैं उसे लागू नहीं करूंगा। यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है। आप उसका विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से (कानून) वापस लेने की मांग कर सकते हैं। लेकिन संवैधानिक रूप से यह कहना कि मैं इसे लागू नहीं करूंगा, अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है।’
केरल सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने सीएए के साथ ही नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) और नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) का विरोध किया है।
वरिष्ठ वकील और नेता ने समझाया कि जब राज्य यह कहते हैं कि वह सीएए को लागू नहीं करेंगे तो उनका क्या मंतव्य होता है और वह ऐसा कैसे करेंगे।
उन्होंने कहा कि राज्यों का कहना है कि वे राज्य के अधिकारियों को भारत संघ के साथ सहयोग नहीं करने देंगे। उन्होंने कहा, ‘एनआरसी, एनपीआर पर आधारित है और एनपीआर को स्थानीय रजिस्ट्रार लागू करेंगे। अब गणना जिस समुदाय में होनी है वहां से स्थानीय रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाने हैं और वे राज्य स्तर के अधिकारी होंगे।’
सिब्बल ने कहा कि व्यावहारिक तौर पर ऐसा कैसे संभव है, यह उन्हें नहीं पता लेकिन संवैधानिक रूप से किसी राज्य सरकार द्वारा यह कहना बहुत कठिन है कि वह संसद द्वारा पारित कानून लागू नहीं करेगी।
सीएए के विरोध में राष्ट्रव्यापी आंदोलन को ‘नेता’ और ‘भारत के लोगों’ के बीच लड़ाई करार देते हुए 71 वर्षीय नेता ने कहा कि भगवान का शुक्र है कि देश के ‘छात्र, गरीब और मध्य वर्ग’ आंदोलन को आगे ले जा रहे हैं, न कि कोई राजनीतिक दल।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को कहा कि सीएए पूरी तरह से केंद्रीय सूची का विषय है और सभी राज्यों को इसे लागू करना ही पड़ेगा।
जयपुर में एक कार्यक्रम में खान ने कहा, ‘सीएए खालिस और खालिस केंद्रीय सूची का विषय है, ये राज्य सूची का विषय नहीं है। हम सभी को अपने अधिकार क्षेत्र को पहचानने की जरूरत है।’
यह पूछे जाने पर कि क्या विरोध कर रही राज्य सरकारें इसे लागू करेंगी, उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा कोई चारा नहीं है, उन्हें लागू करना ही पड़ेगा।’