16.1 C
Indore
Friday, November 22, 2024

न विचार न सिद्धांत: केवल सत्ता महान?

हमारे देश में नेताओं द्वारा सत्ता की लालच में अथवा अपने निजी राजनैतिक लाभ हेतु दल-बदल किए जाने का इतिहास काफी पुराना है। बावजूद इसके कि देश में दक्षिणपंथ, वामपंथ तथा मध्यमार्गी सिद्धांत तथा विचार रखने वाले राजनैतिक दल सक्रिय हैं। परंतु इन्हीं दलों से संबंध रखने वाले अनेक नेता ऐसे हैं जो विचार तथा सिद्धातों के आधार पर नहीं बल्कि सत्ता की संभावनाओं तथा निजी राजनैतिक स्वार्थ के मद्देनज़र दल-बदल करते रहते हैं अथवा इसी आधार पर दलीय गठबंधन भी करते रहते हैं। ज़ाहिर है हमारे देश के मतदाता ऐसे सत्तालोभी,दलबदलू एवं विचारों व सिद्धांतों की समय-समय पर तिलांजलि देने वाले नेताओं को आईना दिखाने के बजाए उनकी ताजपोशी भी करते रहते हैं लिहाज़ा ऐसे नेताओं के हौसले बुलंद रहते हैं। यही वजह है कि सत्ता के लोभ में चला आ रहा दल-बदल का यह सिलसिला कई दशकों से बदस्तूर जारी है और शायद भविष्य में भी जारी रहेगा। $खासतौर पर चुनाव की बेला में दलबदल संबंधी समाचार कुछ ज़्यादा ही सुनाई देते हैं। यह तो भला हो पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जिन्होंने सांसदों तथा विधायकों के लिए दल-बदल विरोधी कानून बना दिया। अन्यथा सांसदों तथा विधायकों के दलबदल का सिलसिला भी इसी ‘भाव’ से जारी रहता।

ताज़ातरीन समाचार उत्तर प्रदेश से संबंधित है जहां विधानसभा के आम चुनाव शीघ्र होने वाले हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की पूर्व अध्यक्षा तथा राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की प्रमुख रह चुकी रीटा बहुगुणा जोशी के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का समाचार है। इसके पूर्व इनके भाई विजय बहुगुणा जो कांग्रेस पार्टी द्वारा उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री बनाए गए थे वे भी भाजपा में इसी लिए शामिल हो गए थे क्योंकि पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाकर उत्तराखंड के ही दूसरे वरिष्ठ एवं लोकप्रिय कांग्रेस नेता हरीश रावत को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया था। यहां यह $गौरतलब है कि जिस समय विजय बहुगुणा को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया था उसके पूर्व वे न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे। सक्रिय राजनीति से उनका कोई वास्ता नहीं था। विजय बहुगुणा हों अथवा रीटा बहुगुणा,इन दोनों ही की राजनैतिक योग्यता केवल यही है कि वे हेमवती नंदन बहुगुणा की संतानें हैं। यही वजह थी कि कांग्रेस ने इसी पारिवारिक पृष्ठभूमि के आधार पर विजय बहुगुणा को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाने की $गल्ती की। और हरीश रावत जैसे समर्पित नेता की नाराज़गी मोल लेना गवारा किया। परंतु जब प्रदेश की राजनीति में पुन: उठा-पटक का दौर शुरु हुआ और विजय बहुगुणा की सेवाएं समाप्त कर कांग्रेस ने हरीश रावत को प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान सौंपने का फैसला किया उसी समय विजय बहुगणा ने कांग्रेस छोडक़र भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।

कमोबेश यही स्थिति उत्तर प्रदेश की भी है। रीता बहुगुणा को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रमुख बनाकर कांग्रेस ने उनपर विश्वास किया था। परंतु पार्टी हाईकमान ने कुछ समय बाद निर्मल कुमार खत्री के रूप में एक दूसरे वरिष्ठ कांग्रेस नेता को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपनी मुनासिब समझी। प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटने के बाद ही रीता बहुगुणा की राजनैतिक सक्रियता का$फी कम हो गई थी। पंरतु उन्हें यह आस थी कि शायद पार्टी चुनाव आने से पूर्व उन्हें कोई महत्वपूर्ण जि़म्मेदारी सौंपेगी। परंतु पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी ने चुनाव पूर्व लिए जाने वाले अपने अंतिम फैसलों में एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर अभिनेता राज बब्बर को बिठा दिया जबकि शीला दीक्षित को प्रदेश के भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित किए जाने का निर्णय लिया। जब रीता बहुगुणा की यहां भी दाल नहीं गली तो उन्होंने भी अपने भाई विजय बहुगुणा के पदचिन्हों पर चलते हुए कांग्रेस पार्टी को छोड़ भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने का फैसला ले लिया। अब तो यह आने वाला समय ही बताएगा कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में सत्ता में आने या न आने की स्थिति में उन्हें किस प्रकार के पदों अथवा इनामों से नवाज़ती है।

वैसे हेमवती नंदन बहुगुणा ने भी 1976-77 में बाबू जगजीवन राम के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़ी थी। परंतु उन्होंने विजय बहुगुणा व रीता बहुगुणा की तरह अपने विचारों व सिद्धांतों को त्याग कर जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बजाए स्वयं अपना राजनैतिक दल लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया था। वे इसी कांग्रेस फार डेमोक्रेसी नामक संगठन से चुनाव लड़े थे तथा बाद में जनता पार्टी के गठबंधन में शामिल होकर मोरार जी देसाई मंत्रिमंडल में पैट्रोलियम मंत्री भी बने थे। दूसरी बात यह है कि हेमवती नंदन बहु्रगुणा का कांग्रेस पार्टी विशेषकर इंदिरा गांधी से विरोध का कारण सत्ता की लालच या पद छीन लेने का मलाल नहीं था। बल्कि यह वह दौर था जब कांग्रेस पार्टी से बड़े पैमाने पर नेताओं ने अपना नाता सि$र्फ इसलिए तोड़ा था क्योंकि उनकी नज़रों में इंदिरा गांधी एक तानाशाह हो चुकी थीं और देश में आपातकाल की घोषणा करने का निर्णय लेना उनकी तानाशाही सोच का सबसे बड़ा सुबूत था। वे उस समय अपने पुत्र संजय गांधी को अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी बनाने की धुन में इतना गंभीर हो चुकी थीं कि उन्हें अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सलाह मशविरे अथवा आलोचना किसी भी बात की कोई परवाह नहीं रहती थी। इसी कारण उस समय कांग्रेस के अनेक वरिष्ठ नेता पार्टी छोडक़र चले गए। परंतु विजय बहुगणा अथवा रीता बहुगणा की तुलना उनके पिता द्वारा कांग्रे पार्टी त्यागने के घटनाक्रम से हरगिज़ नहीं की जा सकती।

जहां तक भारतीय जनता पार्टी में इन बहुगुणा पुत्र-पुत्री के शामिल होने का प्रश्र है तो भाजपा का तो तजऱ्-ए-सियासत ही यही है। भाजपा स्वयं को मज़बूत करने से ज़्यादा विश्वास दूसरे दलों को कमज़ोर करने पर रखती है। गुजरात से लेकर बिहार व दिल्ली तक भाजपा की यही नीति ब$खूबी देखी जा सकती है। आज यह कहा जाता है कि गुजरात में कांग्रेस पार्टी लगभग समाप्त हो चुकी है। इसका मुख्य कारण भी यही है कि स्थानीय स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक के सैकड़ों कांग्रेसी नेताओं को नरेंद्र मोदी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में किसी न किसी छोटे अथवा बड़े पद से सुशोभित कर दिया है। दिल्ली दरबार का भी लगभग यही हाल है। आज भले ही देश में भारतीय जनता पार्टी की बहुमत की सरकार बताई जा रही हो परंतु वास्तविकता यह है कि पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर न केवल लगभग 31 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हैं बल्कि लगभग 110 सांसद भी भाजपा के उम्मीदवार के रूप में ऐसे चुनकर आए हैं जो कांग्रेस सहित दूसरे धर्मनिरपेक्ष संगठनों से नाता तोड़ कर मात्र सत्ता की लालच में भाजपा में शामिल हुए हैं। भाजपा ने यही रणनीति बिहार में गत् वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में भी अपनाई थी। परंतु राज्य की जनता ने लोकसभा चुनावों में तो भाजपा के पक्ष में अपना $फैसला दे दिया मगर विधानसभा चुनाव में जनता ने अपनी जागरूकता का परिचय देते हुए प्रदेश को विकास की राह पर ले जाने वाले नितीश कुमार के पक्ष में अपना निर्णय दिया। अब भारतीय जनता पार्टी उत्तरप्रदेश में निकट भविष्य में होने जा रहे विधानसभा चुनावों से पूर्व पनु: अपनी वही चिरपरिचित रणनीति अपनाने जा रही है। अर्थात् दल बदल कराकर अपने दल को मज़बूत करने का प्रयास करना।

हालांकि हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में नेताओं को इस बात की आज़ादी है कि वे अपनी सुविधा अथवा राजनैतिक न$फे-नु$कसान के मद्देनज़र जब चाहें तब दल-बदल कर सकते हैं। परंतु जब देश में सिद्धांत आधारित राजनैतिक संगठन मौजूद हों और इन संगठनों से जुड़े लोग मात्र सत्ता के लोभ में दल-बदल करते दिखाई दें तो यह प्रश्र उठना स्वाभाविक है कि कल तक अपनी धर्मनिरपेक्षता की डुगडुगी बजाने वाला नेता आज आ$िखर उस दल में कैसे शामिल हो गया जिसे वही नेता स्वयं सांप्रदायिकतावादी संगठन कह कर संबोधित करता था? दलबदलुओं व सिद्धांतविहीन तथा वैेचारिक राजनीति का त्याग करने वाले नेताओं की नज़र में इन बातों की कोई अहमियत नहीं होती बल्कि इनके लिए सबसे प्रमुख तथा सबसे ज़रूरी बात सि$र्फ यह होती है कि वे किस प्रकार सत्ता में बने रहें या सत्ता के $करीब रहें अथवा सत्ता के साथ रहें। ऐसे लोग स्वयं को बिना किसी पद के कुछ इस तरह महसूस करते हैं जैसे जल बिन मछली। ज़ाहिर है इस प्रकार के अवसरवादी नेता मात्र अपने निजी राजनैतिक स्वार्थ के लिए समय-समय पर जनता के सामने गिरगिट के समान अपना रंग बदल-बदल कर पेश आते हैं। ऐसे में यह जनता का दायित्व है कि इस प्रकार के अवसरवादी व सत्ता लोभी नेताओं को वक्त आने पार आईना ज़रूर दिखाए ताकि मात्र सत्ता तथा पद की लालच में सिद्धांतों तथा विचारों की बलि देने के सिलसिले पर लगाम लग सके।

तनवीर जाफरी
1618, महावीर नगर,
मो: 098962-19228






Related Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

IND vs SL Live Streaming: भारत-श्रीलंका के बीच तीसरा टी20 आज

IND vs SL Live Streaming भारत और श्रीलंका के बीच आज तीन टी20 इंटरनेशनल मैचों की सीरीज का तीसरा व अंतिम मुकाबला खेला जाएगा।...

पिनाराई विजयन सरकार पर फूटा त्रिशूर कैथोलिक चर्च का गुस्सा, कहा- “नए केरल का सपना सिर्फ सपना रह जाएगा”

केरल के कैथोलिक चर्च त्रिशूर सूबा ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनके फैसले जनता के लिए सिर्फ मुश्कीलें खड़ी...

अभद्र टिप्पणी पर सिद्धारमैया की सफाई, कहा- ‘मेरा इरादा CM बोम्मई का अपमान करना नहीं था’

Karnataka News कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सीएम मुझे तगारू (भेड़) और हुली (बाघ की तरह) कहते हैं...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
136,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...