दमोह- नोटबंदी के बाद जुआ प्रकरण में एक रोचक मामला सामने आया हैं। हुआ यूँ कि पुलिस शुक्रवार की रात हिंडोरिया थाना के घाट पिपरिया से जुआरियों से पकड़ी लाई। जुआरियों से पकड़ी गई 6 लाख 14 हजार 500 रुपए की रकम कानूनी प्रक्रिया के पचड़े में उलझ कर रह गई है। जब्त की गई राशि में एक हजार रुपए के चार नोट और 500 रुपए के 1207 नोट हैं। जिन्हें रिजर्व बैंक की गाइड लाइन के मुताबिक चलन से बाहर कर दिया गया है। शनिवार को जब्ती की यह राशि चालान के साथ कोर्ट में पेश करने के लिए भेजी गई, लेकिन जमा नहीं हो पाई। मंगलवार को फिर से चालान पेश करने के लिए कहा गया है।
दरअसल पुलिस की ओर से इतनी बड़ी कार्रवाई तब की गई है, जब रिजर्व बैंक की ओर से 1000 और 500 रुपए के नोट पर प्रतिबंध लगाया गया है। जबकि इतनी बड़ी सफलता पर एसपी ने पूरी टीम को 10 हजार रुपए का इनाम देने की घोषणा कर दी है, मगर ऐसे में पुलिस की ओर से की गई इस कार्रवाई पर संकट खड़ा हो गया है।
हिंडोरिया के थाना प्रभारी एसके दुबे ने बताया कि जब्ती की कार्रवाई के दौरान पुलिस को 6 लाख 14 हजार 500 रूपए मिले हैं। जिसमें से दो हजार का 1 नोट, 1 हजार के 4 नोट, 500 सौ के 1207 नोट और 100 रुपए के 50 नाेट मिले हैं। इन नोटों की सीरियल नंबर के साथ जब्ती बनाई गई है। जब तक कोर्ट में केस चलेगा, इन्हें बदला भी नहीं जा सकता है। उन्हांेने बताया कि शनिवार को चालान सहित जब्ती की राशि कोर्ट में पेश करने के लिए भेजी गई थी, लेकिन जमा नहीं की गई, मंगलवार को फिर से बुलाया गया है। ऐसे में जब्ती की राशि फिलहाल मालखाने में है।
जिला न्यायालय के कोर्ट अधीक्षक विनोद श्रीवास्तव ने बताया कि नेशनल अदालत में भी 500 और 1000 रुपए के नोट को लेकर परेशानी हुई थी। कई प्रकरणों में निर्णय नहीं हो पाया था। इस संबंध में मैंने एसबीआई के मैनेजर को पत्र लिखा था, दो दिन तक तो उन्होंने राशि जमा कर ली थी, लेकिन अब क्या स्थिति है, इस संबंध में कोई गाइड लाइन नहीं आई है। यह शासकीय कार्य है, निर्णय के बाद यदि बैंक राशि नहीं बदलेगी तो अंत में अप्रचलित राशि को नागपुर रिजर्व बैंक के मुख्यालय में भेजकर बदलवाया जाएगा। दरअसल पुलिस ने जो राशि जब्त की है उनमें काफी संख्या में 500 और 1000 के नोट हैं। वर्तमान में इनकी नोटबंदी कर दी गई है। पुलिस ने इनकी जब्ती सीरियल नंबर के साथ बनाई है। जो कोर्ट में एक साक्षय होता है, रुपए का मूल्य नहीं होता है। ऐसे में जब यह मामला कोर्ट में जाएगा और आरोपियों की पेशी होगी तो उनके सामने एक जवाब होगा कि वे इन नोटों से खेल रहे थे। क्योंकि इनका प्रचलन बंद हो गया था।
इस संबंध में एसपी तिलक सिंह का कहना है कि चोरी, जुआ, सट्टा और बरामदगी की राशि को सबूत के तौर पर जब्त किया जाता है। हर नोट का सीरियल नंबर रिकार्ड में होता है। जब तक केस कोर्ट में चलता है, राशि का कोई निर्णय नहीं होता है, हम उसे बदल भी नहीं सकते हैं। कोर्ट के आदेश पर ही इसमें निर्णय होता है। पुलिस जब्ती की राशि के साथ चालान पेश करती है।
सागर रेंज के आईजी सतीशकुमार खरे के अनुसार बैंकों में एक हजार व पांच सौ के नोट जमा हो रहे हैं। इस लिहाज से इन नोटों का मूल्य अभी भी है। इस बारे में अगर 31 दिसंबर के बाद कोई नया आदेश नहीं आता है तो भले ही इन नोट को कागज माना जा सकता है। लेकिन तब तक पुलिस इस तरह के प्रत्येक मामले में जुआ एक्ट की कार्रवाई करेगी। इसे उदाहरण स्वरूप ऐसे भी समझा जा सकता है कि अगर इन जुआरियों में से जो भी व्यक्ति रकम जीतता तो क्या वह इन्हें बैंक या पेट्रोल पंप पर उपयोग नहीं करता। इसलिए पुलिस की कार्रवाई विधिसंगत है और इन नोटों को न्यायालय में जमा कराया जाएगा।