मंडला- मध्य प्रदेश मंडला के जिले का आईएसओ प्रमाणित एकमात्र जिला चिकित्सालय हमेशा किसी न किसी वजह के लिए सुर्खियों में बना रहता है। आम आदमी को तो अक्सर ही यह शिकायत रहती है कि जिला चिकित्सालय में चिकित्सक उपलब्ध ही नहीं रहते।
लेकिन हम यहाँ बात कर रहे है नगर के प्रथम नागरिक की जिन्हे प्राइवेट डॉक्टर ने जिला चिकित्सालय में चिकित्सा उपलब्ध कराई। जब जन प्रतिनिधियों के लिए चिकित्सक समय पर उपलब्ध नहीं होते तो आम आदमी की क्या स्थिति होगी इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। डॉक्टर की इस लापरवाही पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने सम्बंधित डॉक्टर को कारन बताओ नोटिस जारी किया है।
मंडला नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष अनिल बाबा मिश्रा के दांत में बीती रात तेज दर्द हुआ। दांत के उपचार लिए नपा अध्यक्ष जिला चिकित्सालय पहुंचे वहां ड्यूटी डॉक्टर, डॉ जेठली ने उन्हें अटेंड कर प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराई। जब नपा अध्यक्ष को आराम नहीं हुआ और उन्हें असहनीय पीढ़ा होने लगी तो चिकित्सालय के दन्त रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक शर्मा को उनके मोबाइल पर फ़ोन किया गया जिसे उन्होंने रिसीव नहीं किया। कई बार कॉल करने पर भी जब कॉल अटेंड नहीं हुआ तो हॉस्पिटल की एम्बुलेंस वैन इमरजेंसी कॉल लेकर उनके घर पहुंची लेकिन उन्होंने दरवाजा नहीं खोला। दन्त चिकित्सक के नहीं आने पर नपा अध्यक्ष अस्प्ताल परिसर में ही निवासरत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के बंगले पर जा पहुंचे और अपनी परेशानी बताई। सीएमएचओ ने भी कई बार डॉ. अशोक शर्मा को फ़ोन किया, लेकिन इनका फ़ोन भी रिसीव नहीं हुआ।
इसके बाद उन्होंने एम्बुलैंस भी भेजी लेकिन न डॉक्टर की नींद खुली और न वो आये। काफी देर इन्तिज़ार के बाद नगर के एक निजी दन्त चिकित्सक डॉ. राहुल पमनानी को अस्पताल परिसर में नगर पालिका अध्यक्ष के उपचार के लिए बुलाया गया। डॉ. पमनानी के उपचार के बाद उन्हें आराम लगा और देर रात फिर वो अपने घर गए।
बार – बार कॉल करने और इमरजेंसी कॉल में गई एम्बुलेंस के भेजे जाने के बाद भी दन्त चिकित्सक के नहीं आने को गम्भीरता से लेते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के सी मसराम ने डॉक्टर को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
इस पूरे मामले में जब शासकीय जिला चिकित्सालय के दन्त रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक शर्मा से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से उनकी तबियत ख़राब चल रही है। रात में वे दवा लेकर सो गए थे, दवा के असर के चलते वो गहरी नींद में थे जिस वजह से न तो उन्होंने मोबाइल की घंटी सुनाई दी और न ही डोर बेल। हालांकि उन्होंने अभी तक कारन बताओ नोटिस प्राप्त होने से इंकार किया।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने अपने अधीनस्थ किसी चिकित्सक या अधिकारी / कर्मचारी को ऐसे नतिस जारी किये हो। मामला सत्ताधारी पार्टी के नेता और वो भी नगर पालिका अध्यक्ष से जुड़े होने के चलते आनन फानन में न सिर्फ नोटिस जारी किया गया बल्कि उसकी प्रति भी सम्बंधित चिकित्सक को भेजने के पहले सार्वजनिक कर दी गई। उम्मीद की जानी चाहिए कि अस्पताल प्रबंधन जनप्रतिनिधियों की ही तरह आम आदमियों के उपचार के लिए भी न सिर्फ इतनी ही तत्परता दिखायेगा बल्कि चिकित्सकों की अनुपलब्धता पर इसी तरह कार्यवाही भी करेगा।
रिपोर्ट- @सैयद जावेद अली