भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा 20 अगस्त को मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना में चयनित विद्यार्थियों को भोपाल में लाल परेड ग्राउण्ड में आयोजित समारोह में स्वीकृति-पत्र प्रदान किये। योजना में लगभग 32 हजार विद्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। समारोह में विभिन्न जिलों के लगभग 15 हजार विद्यार्थी शामिल हुए। इसी तारतम्य में खण्डवा जिले के विभिन्न स्कूलों में कार्यक्रम का लाईव प्रसारण दिखाया गया और स्थानीय उत्कृष्ट विद्यालय खण्डवा में भी विद्यार्थियों को प्रसारण रेडियो के माध्यम से सुनाया गया।
इस दौरान मुख्यमंत्री श्री चौहान मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 12वीं की माध्यमिक शिक्षा मण्डल की परीक्षा में 75 प्रतिशत या उससे अधिक अंक अथवा सीबीएसई/आईसीएसई की परीक्षा में 85 प्रतिशत या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को कॉलेजो में पढ़ाई के लिए ऋण दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग-जे.ई.ई. मेन्स परीक्षा में 50 हजार तक की रैंक वाले विद्यार्थियों द्वारा किसी शासकीय अथवा अशासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेने पर उसे सहायता सरकार द्वारा दी जायेगी। शासकीय कॉलेज की पूरी फीस (मेस शुल्क एवं कॉशन मनी छोड़कर) दी जायेगी। प्रायवेट कॉलेज की फीस में डेढ़ लाख रुपये या वास्तविक शुल्क (शुल्क समिति द्वारा निगमित, मेस शुल्क एवं कॉशन मनी छोड़कर) जो कम हो, शासन द्वारा दी जायेगी।
मेडिकल-राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा (नीट) के माध्यम से केन्द्र या राज्य के किसी भी शासकीय मेडिकल/डेंटल कॉलेज अथवा मध्यप्रदेश के किसी प्रायवेट मेडिकल कॉलेज/डेंटल कॉलेज में एम.बी.बी.एस./बी.डी.एस. पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने पर योजना का लाभ मिलेगा। विद्यार्थियों को देय शुल्क राज्य शासन द्वारा दी जायेगी। उन्होंने इस दौरान कहा कि जिन बच्चों का शासकीय मेडिकल/डेंटल कॉलेज में शिक्षित होकर डाक्टर बन जायेंगे तो उनकों 3 वर्ष तक ग्रामीण क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करना होगा। आप अपने देष के लिए ईमानदारी से काम करें तथा देष की सेवा करें और आगे बढ़े। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लॉ- क्लेट के माध्यम से देश के किसी भी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में बारहवीं कक्षा के बाद के कोर्स की विद्यार्थियों को देय शुल्क राज्य सरकार द्वारा दी जायेगी। मध्यप्रदेश में स्थित भारत सरकार के सभी संस्थानों में संचालित ग्रेजुएशन प्रोग्राम या इंटीग्रेटेड पोस्ट-ग्रेजुएशन प्रोग्राम के कोर्स की विद्यार्थियों को देय शुल्क राज्य शासन द्वारा दी जायेगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि राज्य शासन के सभी कॉलेज के बी.एससी., बी.ए., बी. काम., नर्सिंग, पॉलीटेक्निक तथा स्नातक स्तर के सभी पाठ्यक्रमों की फीस सरकार भरेगी। योजना में स्नातक स्तर के लिये विभिन्न संस्थाओं को देय शुल्क के रूप में प्रवेश शुल्क एवं वह वास्तविक शुल्क (मेस शुल्क एवं कॉशन मनी को छोड़कर), जो शुल्क विनियामक समिति अथवा मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग अथवा राज्य शासन द्वारा निर्धारित की गयी है, का ही भुगतान किया जायेगा। शासकीय संस्थाओं के विद्यार्थियों की पूरी फीस संस्था के खाते में दी जायेगी। प्रायवेट संस्थाओं में विद्यार्थियों को देय शुल्क विद्यार्थी के खाते में दिया जायेगा।
छह लाख रुपये तक की आय सीमा के अंतर्गत बीपीएल कार्डधारी, अनुसूचित-जाति और अनुसूचित-जनजाति वर्ग के विद्यार्थी, जो उपरोक्त निर्धारित शर्तों के कारण योजना में सम्मिलित नहीं हो पा रहे हैं, को विशेष प्रकरण मानते हुए विभाग इनके संबंध में सक्षम प्राधिकारी से अनुमोदन प्राप्त कर योजना में सम्मिलित कर सकेगा।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की मदद के लिए एक सहायता कोष स्थापित किया जायेगा जिसमें राषि एकत्रित की जायेगी, जिससे की अन्य विद्यार्थियों को भी पढ़ाई में मदद मिल सके। साथ ही उन्होंने जल के स्तर को बढ़ाने के लिए पेड़ लगाने की अपील की और कहा कि पर्यावरण बचाना है तो पेड़ लगाना जरूरी है और प्रतिवर्ष 1 पेड़ जरूर लगाये। इस दौरान उन्होंने कहा कि यदि कोई उद्योग स्थापित करना चाहता है तो उसके लिए सरकार मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना के तहत 10 लाख से 2 करोड़ रूपये तक का लोन देंगी और लोन लेने के लिए किसी गारंटी की आवष्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि शासकीय नौकरियों मंे बेटियों को 50 प्रतिषत का आरक्षण दिया जायेगा। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द जी का उदाहरण देते हुए कहा कि उठो जागो और जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो रूको मत और आगे बढ़ते रहो।