इंदौर लोकसभा क्षेत्र के सांसद शंकर लालवानी ने संवाददाताओं को बताया कि समिति के सभी सदस्य इस बात पर सहमत थे कि कोविड-19 से बचाव के उपाय अपनाने में लापरवाही बरतने वाले कुछ लोगों के कारण पूरे जिले के 35 लाख से ज्यादा निवासियों पर लॉकडाउन नहीं थोपा जा सकता।
इंदौर : देश में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल मध्यप्रदेश के इंदौर में संक्रमितों की संख्या में फिर से उछाल आया है। कोरोना महामारी के रोजाना मिलने वाले मामलों की संख्या में हाल के दिनों में बढ़ोतरी के बाद लंबे लॉकडाउन के कयास लगाए जा रहे थे। आपदा प्रबंधन समिति ने सोमवार को हालांकि इन पर विराम लगाते हुए कहा कि जिले में फिलहाल लॉकडाउन लागू नहीं किया जाएगा। महामारी से बचाव के उपायों का नागरिकों से सख्ती से पालन कराया जाएगा।
समिति की बैठक में शामिल होने के बाद इंदौर लोकसभा क्षेत्र के सांसद शंकर लालवानी ने संवाददाताओं को बताया कि समिति के सभी सदस्य इस बात पर सहमत थे कि कोविड-19 से बचाव के उपाय अपनाने में लापरवाही बरतने वाले कुछ लोगों के कारण पूरे जिले के 35 लाख से ज्यादा निवासियों पर लॉकडाउन नहीं थोपा जा सकता। उन्होंने बताया कि समिति की बैठक में तय किया गया है कि कोविड-19 से बचाव के उपाय नहीं अपनाने वाले लोगों के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा इंदौर नगर निगम और पुलिस की मदद से सख्त कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
लालवानी ने चेताया कि हम शनिवार को कोविड-19 के हालात की फिर समीक्षा करेंगे। हालात में अगर सुधार नहीं हुआ और इस महामारी के मामले तेज रफ्तार से बढ़े, तो हमें लंबे लॉकडाउन की ओर जाना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि इंदौर के शहरी क्षेत्र में अब सभी कारोबारी संस्थान रात आठ बजे तक बंद करा दिए जाएंगे और इसके बाद रात्रिकालीन कर्फ्यू शुरू हो जएगा। स्थानीय नेताओं द्वारा कोविड-19 के प्रति लापरवाही के मामलों के बारे में पूछे जाने पर लोकसभा सांसद ने कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से भी कहा गया है कि वे अपने आयोजनों में कोविड-19 से बचाव के तमाम उपाय अपनाएं।
अधिकारियों के मुताबिक इंदौर जिले में पिछले 24 घंटे के दौरान बड़े उछाल के साथ इस महामारी के 92 नए मामले मिले हैं, जिससे संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 5,352 हो गई है। इनमें से 269 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि इलाज के बाद 4,017 लोग कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं। जिले में कोविड-19 के प्रकोप की शुरुआत 24 मार्च से हुई, जब पहले चार मरीजों में इस महामारी की पुष्टि हुई थी।