दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक सऊदी अरब, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक रूस को शुक्रवार को पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन द्वारा प्रस्तावित उत्पादन में कटौती डील नहीं होने पर सबक सिखाने का प्रयास कर रहा है। ओपेक और अन्य उत्पादकों ने कोरोनो वायरस प्रकोप से आर्थिक गिरावट के कारण गिरती कीमतों को स्थिर करने के लिए कटौती का समर्थन किया था।
नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 30 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई है। कच्चे तेल की कीमतों में यह गिरावट सऊदी अरब द्वारा रूस के साथ प्राइस वार शुरू करने की वजह से आई है। इसके अलावा जानलेवा कोरोनो वायरस के प्रकोप की वजह से मांग में कमी को भी कीमतों में गिरावट की एक वजह माना जा रहा है। 1991 के बाद कच्ची तेल में यह सबसे बड़ी गिरावट है। आपको बता दें कि ब्रेंट क्रूड सोमावर सुबह 30 फीसदी तक गिरकर 31.02 डॉलर प्रति बैरल चल रहा है।
इसकी कीमत शुक्रवार को 36.06 डॉलर प्रति बैरल थी। इसके अलावा यूएस क्रूड 27 फीसदी गिरकर 30 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। इसके अलावा कोरोना वायरस के चलते एशियाई शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली है। जापान का निक्कई 4.4 फीसदी गिरकर खुला। वहीं अन्य एशियाई शेयरों में भी 4-5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक सऊदी अरब, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक रूस को शुक्रवार को पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन द्वारा प्रस्तावित उत्पादन में कटौती डील नहीं होने पर सबक सिखाने का प्रयास कर रहा है। ओपेक और अन्य उत्पादकों ने कोरोनो वायरस प्रकोप से आर्थिक गिरावट के कारण गिरती कीमतों को स्थिर करने के लिए कटौती का समर्थन किया था।
लेकिन रूस ने उत्पादन घटाने से इनकार कर दिया। इसके तुरंत बाद सऊदी अरब ने तेल कीमत में भारी कटौती करने की घोषणा कर दी, इसके कारण तेल बाजार में प्राइस वार छिड़ने का डर पैदा हो गया। सऊदी अरब ने अप्रैल के लिए अपने आधिकारिक बिक्री कीम में कटौती करके सभी कच्चे ग्रेडों की कीमत 6 से 8 डॉलर प्रति बैरल घटा दी है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में इस कटौती का सीधा लाभ घरेलू बाजार में भी देखने को मिलेगा। केडिया कमोडिटीज के डायरेक्ट अजय केडिया ने बताया कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत में पेट्रोल-डीजल 5-6 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो सकता है। उन्होंने कहा, इससे ज्यादा तेल के भाव में गिरावट नहीं आ सकती है, क्योंकि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी बनी हुई है।