खंडवा : मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की ज्योंतिर्लिर्ग नगरी ओंकारेश्वर में भगवान ओम्कारेश्वर ज्योंतिर्लिग (श्रीजी) मंदिर में गर्भगृह में सुरक्षा के लिए लगे कांच के अंदर बैठकर पूजा की जा सकती है ? अब प्रश्न मंदिर मंदिर प्रशासन से किया तो कहा कि नियम सभी के लिए एक जैसे हैं चाहे वह कितना ही वी.आई.पी. हो या आम जन। इसके विपरित सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई फ़ोटो में एसडीएम के साले व पत्नि सहित परिजन गर्भगृह मे घुसकर पूजा करते नजर आ रहे है। कहा गया है कि एसडीएम मंदिर में जब आते हैं तो सबको नियम बताते है लेकिन उनका परिवाार नियमो से उपर है।
तीथ्रनगरी के लोग निकासी गेट से दर्शन करते है तो उनकी जबरन 300/-रुपये की रसीद बनवा देते है। लेकिन एसडीएम का अपना कोई खास आदमी या वी.आई.पी. अधिकारी आवे तो उसको प्रभावित करने के लिए अपने चाटुकार पण्डों से कहकर उस वी.आई.पी. अधिकारी के लिये भी नियम विरुद्ध कांच हटाकर जल चढ़वा देते है, कोई सन्त इस सम्बन्ध में पूछता है तो उसे अभद्र भाषा में जवाब देते हैं ।कुल मिला कर मेरा ये कहना है कि दूसरों को नियम कायदे का पाठ पढ़ाने वाले ये एस. डी. एम. महोदय खुद नियम कायदों को ताक पर रख कर सपत्नीक श्री ओम्कारेश्वर जी के मंदिर में गर्भगृह में सुरक्षा के लिए लगे कांच के अंदर बैठकर भगवान श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा कर रहे है,और साथ में साले से भी करवाई ।
क्या ऐसे दोहरे व्यवहार करने वाले अधिकारी को श्री ओम्कारेश्वर मंदिर ट्रस्ट के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर रखना चाहिए या हटा देना चाहिए । यह यक्ष प्रश्न सोशल मीडिया पर जमकर सुर्खियां बटोर रहा हैं क्योंकि श्रीजी की पूजा कांच के गेट के बाहर से ही कराई जाती है लेकिन एसडीएम ने अपना रुतबा दिखाकर नियम कायदों को ताक में रख दिया है। इन्होने शिवलिंग पर दही भी चढ़ाया ।लिंग को लोटे से स्नान कराया । में ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग का क्षरण को देखाते हुये बहुत सारे नियम कायदे व प्रतिबध लागू किये गये है। मंदिर ट्रस्ट प्रशासन इस पूरे मामले में कुछ कहने से कन्नी काट गया है। साधु संतों ने जरूर विरोध प्रगट किया है क्योंकि नियम सभी के लिए एक होता है ।
0 प्रतिबंध के चलते श्रद्धालुओं को होती हे काफी परेशानी
ज्योतिर्लिंग ओम्कारेश्वर मंदिर में 4 बजे के बाद जल फूल बिल पत्र चढ़ाने पर प्रतिबंध लगा हुआ था। शनिवार को नागरिकों, संतों, पंडितों ने सामूहिक रुप से 4 बजे बाद ज्योतिर्लिंग ओम्कारेश्वर पर जल चढ़ाया और प्रतिबंध को समाप्त करने का अनाािाकृत रूप से ऐलान किया। श्रद्धालु यात्रियों नेे भी जल फुल बेलपत्र चढ़ाए। महन्त मंगलदास त्यागी ने कहा कि ज्योतिर्लिंग ओम्कारेश्वर पर प्रात 5.00 बजे से रात्रि 8.30 बजे तक निरंतर जल चढ़ाने की प्रथा रही है और भगवान शिव को जल प्रिय है। दूर-दूर से हरिद्वार गंगोत्री का जल लेकर श्रद्धालु ओम्कारेश्वर आकर चढ़ाते है। ओंकारेश्वर में हरिद्वार के गंगा जल को चढ़ाने की परंपरा रही है। इसी तरह नर्मदा जी की परिक्रमा करने वाले श्रद्धालु भी नर्मदा जी के उद्गम स्थल का जल लाकर च्योतिर्लिंग ओम्कारेश्वर पर चढ़ाते हैं आ रहे हैं। किंतु 4.00 बजे के प्रतिबंध के कारण 4 बजे बाद आने वाले श्रद्धालुओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। रात्रि में रुकना उनके लिए अनिवार्य हो जाता था। जब तक जल नहीं चढ़े तब तक वह भूखे-प्यासे रहते थे। इस कारण उनकी परेशानियों को देखते हुए 4 का प्रतिबंध हटाना बहुत जरूरी है। ऐसा कोई नियम ट्रस्ट के पास नहीं है जिसमें 4 बजे के बाद जल फूल पत्र चढ़ाने पर प्रतिबंध लगाया गया हो।
डीडी अग्रवाल ने कलेक्टर रहते क्षरण के मद्देनजर ऐसी व्यवस्था अस्थाई रूप से कर दी थी किंतु जल से कोई क्षरण नहीं होता है इसलिए अब अस्थाई व्यवस्था को भी हटाया जाना जरूरी है और इसी तारतम्य में शनिवार को सामूहिक रुप से नागरिकों, संतों और पंडितों ने ज्योतिर्लिंग ओम्कारेश्वर पर 4 बजे बाद जल चढ़ाकर इस परंपरा को हमेशा के लिए समाप्त करने की घोषणा की। प्रशासन को इसमें सहयोग करना चाहिए और इस परंपरा को बनाए रखना चाहिए ताकि रात्रि 8.30 बजे तक आने वाले श्रद्धालु जल चढ़ा सके। समाज सेवी ललित शुक्ला, पदसंघ के पवन शर्मा, सुनील शर्मा ने बताया कि एसडीएम अरविंद चैहान जोकि मंदिर ट्रस्ट के कार्यपालन अधिकारी भी हैं ने विगत दिनों नियमों को तोड़ते हुए ज्योतिर्लिंग के पास बैठकर सपत्नी व रिश्तेदारों सहित जल चढ़ाया। जबकि ज्योतिर्लिंग के आगे लगे कांच के अंदर केवल पुजारी ही बैठ सकता है। अंदर बैठकर च्योतिर्लिंग स्पर्श करने पूजा करने पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान, केंद्रीय मंत्री उमा भारती महामंडलेश्वर अवधेशानंदजी एवं ऐसे अनेक संतों को भी अंदर च्योतिर्लिंग के पास बैठाकर जल नहीं चढ़वाया जाता है। जब महन्त मंगलदासजी ने एसडीएम चैहान से इस संबंध में चर्चा कि तो उन्होंने बताया ऐसा कोई नियम नहीं है जिसमें ऐसा प्रतिबंध लगाया हुआ है। महंत मंगलदास ने कहा कि भगवन के दरबार में नियम सबके लिए बराबर होना चाहिए। जब एसडीएम साहब अंदर घुसकर च्योतिर्लिंग को जल दूध चढ़ा सकते है तो आम लोग भी 4 बजे बाद जल क्यों नहीं चढ़ा सकते?प्रशासन को श्रद्धा के साथ आने वाले श्रद्धालुओं की भावनाओं का ध्यान रखते हुए निर्णय लेना चाहिए जिससे आस्था को ठेस न पंहुचे।