देश के करीब 1 फीसदी अमीर भारतीयों के पास पिछले साल 73 फीसदी कमाई का हिस्सा रहा है। इससे देश में एक बार फिर से अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई की बात सामने आई है। इससे लगता है कि केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी इसमें किसी तरह की कोई कमी नहीं आई है।
नोटबंदी, जीएसटी ने तोड़ी आम आदमी की कमर
पिछले एक साल में नोटबंदी और जीएसटी ने देश के आम आदमी की कमर को तोड़ के रख दिया है। ऊपर से पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम से भी लोग परेशान हैं। दावोस में होने वाले वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक से पहले ऑक्सफैम द्वारा जारी किए गए एक सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है।
67 करोड़ भारतीय गरीब
130 करोड़ की आबादी वाले देश में 67 करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं और पिछले एक साल में उनकी आर्थिक हालत में किसी तरह का कोई सुधार नहीं आया है। इनमें से भी केवल एक फीसदी लोगों की हालत थोड़ी सी ठीक हुई है।
विश्व में भारत जैसे हालत
भारत से इतर पूरे विश्व में भी ये ही हालत हैं। वहां 1 फीसदी लोगों के पास दुनिया की 82 फीसदी वेल्थ है, जबकि 3.7 बिलियन लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। इस सर्वे की चर्चा हर बार वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक में होती है।
2016 में 58 फीसदी थी वेल्थ
2016 के लिए पिछले साल जारी हुए सर्वे में करीब 58 फीसदी वेल्थ देश के 1 फीसदी लोगों के पास थी। 2016-2017 के बीच इस हिसाब से ऐसे लोगों की वेल्थ में 20.9 लाख करोड़ रुपये इजाफा हुआ। यह राशि भारत सरकार के 2017-18 के वार्षिक बजट के बराबर है।
हर दो दिन में एक व्यक्ति बना अरबपति
सर्वे के मुताबिक 2017 में हर दो दिन में एक व्यक्ति करोड़पति से अरबपति बन गया। अगर सरकार ग्रामीण इलाके में रहने वाले गरीब व्यक्ति को भी बीपीएल कैटेगिरी से ऊपर लाकर एक कंपनी के टॉप एक्जिक्यूटिव जितनी सैलरी देने की कोशिश करे, तो फिर उसको ऐसा करने में 941 साल लग जाएंगे। गौरतलब की पीएम नरेंद्र मोदी दावोस में होने वाली बैठक में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में इस सर्वे से सरकार को चिंता करने की जरुरत है।