नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में नेताओं की हिरासत को लेकर गुरुवार को विपक्षी पार्टियों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देकर विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस, टीएमसी, राजद, द्रमुक और कई दूसरी विपक्षी पार्टियों के नेता विरोध में शामिल हुए। विपक्षी नेताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार खुली तानाशाही पर उतर गई है। कश्मीर में बीते 18 दिन से सभी नेताओं और सामाजिक संगठनों के नेताओं को हिरासत में रखा गया है। ये पूरी तरह तानाशाही है और सभी को तुरंत रिहा किया जाा चाहिए।
विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला,उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, पूर्व आईएएस अधिकारी से राजनेता बने शाह फैसल, कई पूर्व सांसद और मंत्री 5 अगस्त से घरों या जेलों में हैं। सरकार नहीं बता रही है कि आखिर कब इनको रिहा किया जाएगा और क्यों इनको कैद किया गया है। एक लोकतंत्र में ये पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने दो दिन पहले भी कश्मीर में सरकार के रवैये पर नाखुशी जताते हुए विरोध किया था और विपक्ष से इस मामले में एकजुट होने की अपील की थी। द्रमुक की अगुवाई में ही सभी पार्टियां गुरुवार को जंतर मंतर पर जुटीं। डीएमके के डी राजा और दूसरे सांसद धरने में शामिल हुए। विरोध में कांग्रेस की ओर से सांसद गुलाम नबी आजाद और कार्ति चिदंबरम, आरजेडी सांसद मनोज झा, सपा सांसद रामगोपाल यादव, टीएमसी के दिनेश त्रिवेदी, पूर्व मंत्री शरद यादव, सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात, सीताराम येचुरी, एक्टिविस्ट शेहला रशीद और कई नेता मौजूद रहे।
बता दें कि केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया है। 5 अगस्त से सूबे में काफी पाबंदिया लगाई गई हैं। घाटी में फोन, इंटरनेट, लैंडलाइन, पोस्ट ऑफिस सब बंद हैं। राज्य के ज्यादातर नेता हिरासत में हैं। राज्य में चार हजार से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी की भी बात सामने आई है।