तमिलनाडु के कोयम्बटूर जिले में 400 दलितों ने इस्लाम धर्म को अपना लिया है। धर्मांतरण करने वाले दलितों का आरोप है कि वो वर्षों से जाति को लेकर भेदभाव का शिकार होते रहे हैं।
अरुंधथियार समुदाय से संबंधित इन लोगों का दावा है कि उन्हें अपने मृतकों को दफनाने के लिए रास्ता भी मयस्सर नहीं होने दिया जा रहा।
तमिल पुलीगल काची नाम के एक दलित संगठन ने यह दावा किया कि 5 जनवरी के बाद से लगभग 40 परिवारों ने धर्मांतरण किया है और अब भी यह प्रक्रिया जारी है।
अचानक इतनी बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन के पीछे दीवार ढहने की एक घटना को कारण माना जा रहा है, जिसमें 17 लोगों की जान चली गई थी।
दलित समुदाय का दावा है कि उनके समुदाय के लोगों को नीचा दिखाने के लिए ही यह दीवार खड़ी की गई थी।
पिछले साल 2 दिसंबर को मेत्तुपलायम में एक दीवार गिरने की घटना में 17 दलितों की मौत हो गई थी। इसके बाद उसे ‘अछूत दीवार’ का नाम दिया गया।
स्थानीय लोग कहते हैं कि यह एक जाति की दीवार थी, जिसे दलितों को कॉलोनी के आसपास के क्षेत्र से दूर रखने को बनाया गया था।
दलित समर्थक तमिल पुलिगल के महासचिव निलावेनील ने कहा, उन्होंने अपने प्रियजनों को इस्लाम कबूल करवाने का फैसला किया, ताकि उन्हें जातिवाद के चंगुल से मुक्त कराया जा सके।
उन्होंने दावा किया कि लगभग 3000 लोग इस्लाम कबूल करने को तैयार हैं और अब तक 430 लोग कबूल कर चुके हैं।
इस्लाम कबूल करने वालों ने दावा किया कि उनके साथ हर जगह भेदभाव किया जाता है और यहां तक कि उन्हें मंदिरों में भी प्रवेश करने नहीं दिया जाता। हम मस्जिद में तो जा सकते हैं, लेकिन मंदिरों में नहीं जाने दिया जाता।