ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी की है।
ओवैसी ने कहा कि जब सबरीमाला और एससी/एसटी जैसे मामलों में रिव्यू पिटिशन दायर हो सकती है तो अयोध्या पर क्यों नहीं किया जा सकता।
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्विटर पर लिखा, मैं कोई मशहूर मुस्लिम नहीं हूं लेकिन मेरी दो बाते हैं-सुप्रीम कोर्ट के नियमों के मुताबिक रिव्यू पिटिशन एक उपाय है और मैं सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दायर करने वाले वादियों के अधिकार के साथ खड़ा हूं। दूसरा- अगर सबरीमाला और एससी/एसटी एक्ट मामले में रिव्यू पिटिशन से ध्रुवीकरण में मदद नहीं मिली तो इस मामले में भी ऐसा नहीं होना चाहिए।
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले पर पहले भी असदुद्दीन ओवैसे कई बार टिप्पणी कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है लेकिन अचूक नहीं है।
उन्होंने अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले को तथ्यों से ऊपर आस्था की एक जीत के तौर पर बताया था।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हमें हिंदुस्तान के संविधान पर पूरा भरोसा है। हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे थे।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हमें 5 एकड़ के ऑफर को खारिज कर देना चाहिए। ओवैसी ने कहा, ”कांग्रेस ने अपना असली रंग दिखा दिया है। कांग्रेस पार्टी के धोखेबाजों और पाखंडियों के लिए तो 1949 में मूर्तियां नहीं रखी गई होंगी। अगर राजीव गांधी द्वारा ताले नहीं खोले जाते, तो मस्जिद अब भी होती। नरसिम्हा राव ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया होता जो अब भी मस्जिद होती।”