लाहौर- पाकिस्तान और जिम्बाब्वे के बीच शुक्रवार को खेले गए डे-नाइट इंटरनेशनल मैच के दौरान स्टेडियम के बाहर एक ब्लास्ट हुआ। धमाके में एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर समेत दो लोगों की मौत हो गई, जबकि चार लोग घायल हो गए।
पाकिस्तान के सूचना मंत्री परवेज राशिद ने इसे आत्मघाती हमला बताया है। 2009 में भी श्रीलंकाई टीम के पाकिस्तान दौरे में आतंकवादी हमला हुआ था। इसके बाद से विदेशी टीमों ने पाकिस्तान में खेलने से इनकार कर दिया था। 6 साल बाद कोई विदेशी टीम पाक दौरे पर आई है।
स्टेडियम के बाहर रात नौ बजे जब विस्फोट हुआ, उस समय मैच चल रहा था। राशिद ने कहा कि एक सब-इंस्पेक्टर ने उस आत्मघाती हमलावर को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन उसने खुद को धमाके में उड़ा लिया। राशिद ने कहा कि हमलावर स्टेडियम के अंदर विस्फोट करना चाहता था, लेकिन स्टेडियम की पार्किंग के पास उसे रोकने की कोशिश के दौरान उसने खुद को उड़ा लिया।
जैसे ही यह आत्मघाती हमला हुआ, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इस बात को दबाने की कोशिश की। बोर्ड की ओर से कहा गया कि धमाका एक बिजली के ट्रांसफॉर्मर में हुआ और जिसमें कुछ लोगों को मामूली चोटें आईं। लेकिन थोड़ी ही देर बाद मामला साफ हो गया। पुलिस ने क्षेत्र की घेराबंदी की और किसी को भी परिसर में घुसने या वहां से बाहर निकलने से रोक दिया। मीडिया को भी वहां नहीं जाने दिया गया।
मार्च 2009 के बाद यह किसी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम का पहला पाकिस्तान दौरा है। मार्च 2009 में लाहौर के लिबर्टी चौक (गद्दाफी स्टेडियम के समीप) पर तालिबान ने श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर हमला किया था, जिसमें टीम के छह सदस्य घायल हो गए थे। बड़ी मुश्किल से जिम्बाब्वे की क्रिकेट टीम पाकिस्तान का दौरा करने के लिए तैयार हुई थी, लेकिन इस ब्लास्ट के बाद पाकिस्तान में सुरक्षा के हालात एक बार फिर उजागर हो गए हैं।
शुक्रवार को ही पाकिस्तान के क्वेटा में एक बस पर आतंकियों ने हमला कर दिया। इस हमले में 19 लोगों की मौत हो गई। यह बस क्वेटा से कराची जा रही थी। बताया जाता है कि आतंकियों ने पहले चलती बस को रोकने की कोशिश की और जब ड्राइवर ने बस को नहीं रोका तो आतंकियों ने उस पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी। क्वेटा पाकिस्तान के बलूचिस्तान राज्य में आता है। इसी महीने के शुरू में आतंकियों ने एक और बस को निशाना बनाया था, जिसमें 43 लोग मारे गए थे। एजेंसी