#इस्लामाबाद- पठानकोट हमले का गुनाहगार जैश-ए-मोहम्मद चीफ मौलाना मसूद अजहर प्रोटेक्टिव हिरासत में है। यह जानकारी देते हुए सरताज अजीज ने उस आरोप को भी खारिज किया है कि पाकिस्तान की ओर से पठानकोट हमले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
ज्ञात हो कि भारत ने आरोप लगाया था कि मसूद को हिरासत में लिए जाने के बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई है। पाकिस्तान की ओर से दर्ज एफआईआर में मसूद का नाम न होने पर अजीज ने बताया कि पठानकोट हमले के लिए एफआईआर सिर्फ पहले स्तर की रिपोर्ट है और आगे दर्ज होने वाली एफआईआर में बाकी नाम जरूर शामिल किए जाएंगे।
पठानकोट हमले में पाकिस्तान का हाथ होने के भारत की तरफ से दिए गए सबूतों के बारे में अजीज ने कहा कि दिए गए मोबाइल नंबरों में से एक काम कर रहा था और उसकी लोकेशन बहावसपुर में जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय में पाई गई है।
अज़ीज़ के मुताबिक सीमा पार अपराध की जांच मुश्किल हो जाती है क्योंकि हमारे पास लोकशन या सबूत नहीं होते। एसआईटी को मोबाइल नंबरों और उपलब्ध लिंक की जांच करनी पड़ी। उन्हें इस बात की जांच करनी पड़ी कि इस हमले के पीछे किसका हाथ हो सकता है।
दोनों देशों के बीच विदेश सचिव स्तर की वार्ता करने के सवाल पर अजीज ने कहा कि गेंद भारत के पाले में है। उन्होंने कहा, इसका जवाब पूरी तरह भारत के पास है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले महीने वाशिंगटन में परमाणु सुरक्षा सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ एक-दूसरे से मिलेंगे। पाकिस्तानी अधिकारियों ने पठानकोट हमले के सिलसिले में 18 फरवरी को प्राथमिकी दर्ज की थी, लेकिन उसमें अजहर का नाम नहीं है।
इस हमले की वजह से विदेश सचिव स्तर की वार्ता स्थगित हो गई थी। प्राथमिकी पंजाब प्रांत के गुजरांवाला में आतंकवाद निरोधक विभाग में दर्ज की गई है। जब अजीज से मुंबई हमले के बारे में पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी लश्कर आतंकवादी डेविड हेडली द्वारा भारतीय अदालत में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए खुलासों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह दोहरा एजेंट है और वह भरोसेमंद नहीं है।
उन्होंने पाकिस्तान में चल रही मुंबई हमले मामले की सुनवाई में हेडली के बयान को संज्ञान लेने से इनकार किया। अजीज ने कहा कि दोनों देशों के बीच वार्ता और हमले की जांच साथ-साथ चल सकती है तथा मोदी एवं शरीफ के बीच अच्छी केमिस्ट्री है। उन्होंने कहा कि संबंध सुधारने की दिशा में मोदी की कोशिश दिख रही है, लेकिन पाकिस्तान पर ‘कड़े रुख’ की छवि मिटाने के लिए और कुछ करने की जरूरत है। दोनों प्रधानमंत्रियों को गैर सरकारी तत्वों को वार्ता को पटरी से नहीं उतारने देना चाहिए।