नई दिल्ली : लोकसभा ने भी 49 साल पुराने शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसमें युद्ध बाद शत्रु देश-पाकिस्तान या चीन में बसे नागरिकों या उनके वारिसों को भारत में स्थित उनकी संपत्ति के हक से वंचित कर दिया गया है। भोपाल नवाब के वारिसों (सैफ अली व अन्य पटौदी परिवार) की संपत्तियों पर दावेदारी खत्म हो गई।
नवाब की संपत्ति का विवाद
हमीदुल्ला खान भोपाल के आखिरी नवाब थे। उनकी दो बेटियां थीं, आबिदा सुल्तान और साजिदा सुल्तान। नवाब का कोई बेटा नहीं था। रियासतों की उत्तराधिकारी चुनने की नीति के अनुसार बड़ी संतान को पिता की संपत्ति पर उत्तराधिकार मिलता था। इस लिहाज से आबिदा सुल्तान नवाब की उत्तराधिकारी थीं। आबिदा 1950 में पाकिस्तान जाकर बस गईं।
लेकिन नवाब और उनका बाकी परिवार भारत में ही रहा। 1960 में नवाब का निधन हो गया। चूंकि बड़ी बेटी आबिदा पाकिस्तान जा चुकी थीं, इसलिए छोटी बेटी साजिदा नवाब की वारिस बन गईं। वर्ष 1961 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने साजिदा को भोपाल का राज्याधिकारी नियुक्त कर दिया, जिससे नवाब की जायदाद की वारिस साजिदा बन गईं।
वर्तमान में इस मामले पर मप्र की जबलपुर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। भोपाल के नवाब द्वारा और साजिदा सुल्तान के द्वारा उनकी संपत्ति कई लोगों को बेची गई थी। उन लोगों द्वारा वह दूसरे लोगों को बेची गई, जिसके कारण आज नवाब की संपत्ति का मालिकाना हक कई बार बदल चुका है। अभी जिनका उन पर मालिकाना हक है वे खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
अगर हालिया विधेयक के बाद उनकी संपत्ति को शत्रु संपत्ति मानकर सीईपी अपने अधिकार में लेती है तो भोपाल में लाखों की ऐसी आबादी के प्रभावित होने की संभावना है जो नवाब से खरीदी संपत्ति पर दशकों से रह रही है। इसमें कई आवासीय परिसर, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, होटल और नगर निगम की जमीन शामिल है।
साजिदा सुल्तान मंसूर अली खान पटौदी की मां, शर्मिला टैगोर की सास और सैफ अली खान, सोहा अली खान और सबा अली खान की दादी थीं। 1968 में सरकार द्वारा शत्रु संपत्ति अधिनियम लाया गया, जो पूर्व प्रभावों के साथ लागू हुआ। कानून के 47 साल बाद पिछले वर्ष सीईपी ने नवाब की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित किया था तो भोपाल के नवाब की संपत्ति को लेकर बवाल खड़ा हुआ था।