32.1 C
Indore
Saturday, November 2, 2024

पवार हुए पावरफुल और शाह को मिली मात

‘कुर्सी खतरे में है तो प्रजातंत्र खतरे में है। कुर्सी खतरे में है तो राज्य, देश एवं दुनिया खतरे में है। कुर्सी न बचे तो भाड़ में जाए प्रजातंत्र- राज्य, देश और दुनिया?’

राजनीति की नीति ऐसी बनती जाए।
वचन जाए पर जाए कुर्सी न जाए।।

आज राजनीति कि हालात यह हो गई है कि राजनीति में अपनी कुर्सी कैसे सलामत रहे इसके लिए कोई भी राजनीति हो, करेगा। चाहे उसे अपने बयानों से पलटना पड़ा, तथ्यहीन समझौता करना पडे़। आज हर पार्टी के नेता पाला बदलने में माहिर हैं। ताजा घटनाक्रम महाराष्ट्र के परिदृश्य में हम देख रहे हैं। चुनाव से पहले जो पार्टी गठबंधन कर चुनाव लड़ी और उसके गठबंधन को जीत मिली। लेकिन मुख्यमंत्री हमारा होगा? इस प्रश्न पर पूर्व में हुआ गठबंधन टूट गया। राजनीति की कुनबापरस्ती में सभी दल सुप्रीमकोर्ट के दरवाजे पर अपने-अपने तर्क के आधार पर, अपने पक्ष में फैसले की गुहार लगाते रहें। अंततोगत्वा सुप्रीमकोर्ट ने सारी परस्थितियों के मद्देनजर रखते हुए, सभी से तथ्यगत रिपोर्ट मांगे और अपना फैसला सुना दिया, एक निश्चित तय समय तक बहुमत प्राप्त करने को कहा साथ ही इस बात को भी जोड़ दिया कि गुप्त मतदान नहीं होगा और इसका सीधा लाइव प्रसारण भी होगा।

कल तक जो चुनाव मैदान में बीजेपी-शिवसेना व एनसीपी-कांग्रेस, दोनों एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव-ए-जंग में थी। जिन्हें सरकार बनाने का बहुमत मिला, वह विपक्ष की भूमिका निभायेंगे। जिन्हें विपक्ष की भूमिका निभाने को बहुमत मिली थी, वह अब सरकार बनायेंगे एवं मुख्य कर्ताधर्ता होंगे। यहां सिर्फ कांग्रेस-एनसीपी एवं बीजेपी के पक्ष-विपक्ष की भूमिका अदल-बदल हो रही है। शिवसेना तो पहले बीजेपी के साथ थी, अब कांग्रेस-एनसीपी के साथ मुख्यमंत्री के रूप में मुख्य भूमिका निभाएगी।

ताजा स्थितियां यही बयां कर रही हंै कि भाजपा के चाणक्य शाह मात खा गए और सारी स्थितियों को भांपने में वे बुरी तरह विफल रहे। यह आने वाले दिनों के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। यह गठबंधन कितने दिनों तक चलेगा, यह अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है। आज राजनीति का कोई आधार और मापदण्ड नहीं रह गया है। वह कब किस करवट बैठेगी, इसका भगवान भी मालिक नहीं है? आज की राजनीति, जैसे कुर्सी सुरक्षित रहे, वैसे ही समझौते किये जाते हैं। राजनीति से उसका कोई लेना-देना नहीं। इस मामले में सभी पार्टियां अपने-अपने समय के हिसाब से अपना हित साध रहे हैं, इसमें कोई भी पीछे नहीं रहना चाहता। आज समाज को सुधारने का ठेका लेने वाले ही, दोष समाज के ऊपर ही थोप देते हैं।

राजनीति अब समाजसेवा नहीं रह गया है। आज चुनाव जितने में जितना पैसा खर्च होता है, चुनाव जीतने के बाद उम्मीदवार नफा-नुकसान आदि का खर्च जोड़ते हैं और इस खर्च को जितना जल्द हो कैसे निकाला जाए, यह राजनीतिज्ञों का मुख्य ध्येय होता है, चाहे उन्हें भ्रष्टाचार का सहारा लेना पड़े। राजनीति आज एक ब्रांडेड प्रोफेशन बन गया है कौन किसे कितना चारा डाल रहा है। कौन किस पार्टी से संसद, विधायक का समय पड़ने पर उसे अपने पक्ष में कर सकता है, पार्टी बदलवा सकता है। अपने पक्ष में नई पार्टी बनवा सकता है। आज जनता से सम्पर्क स्थापित करने वाले से ज्यादा जुगारू नेता और चंदा जुटाने वाले नेता की ज्यादा अहमियत है। क्योंकि समय पर नाव का खवैया वही बनेगा और उसकी बात को न मानने पर नाव डूबने की वह चाल चलेगा।

देश की राजनीति में शरद पवार जितना राजनीतिक अनुभव रखने वालों की संख्या गिनती में ही होगी, लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में उन्होंने जिस तरह से अपने राजनीतिक अनुभव और चातुर्य का इस्तेमाल कर राज्य में पहली बार शिवसेना की एनसीपी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार के गठन का रास्ता साफ कर दिया। राजनीति के धुरंधर खिलाड़ियों में माने जाने वाले शरद पवार महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे बड़े क्षत्रप बनकर उभरे हैं।

जरा समझिए कि शरद पवार भड़के क्यों? वे लगातार कह रहे थे कि उनकी पार्टी के पास विपक्ष में बैठने का जनादेश है। इससे बीजेपी के बड़े नेताओं ने उनका घर और पार्टी दोनों तोड़ने का पांसा फेंका। अजित पवार को तोड़कर बीजेपी ने सोए हुए शरद पवार की महत्त्वाकांक्षाओं को जगा दिया। इससे आहत पवार ऐसे भड़के कि उन्होंने फडणवीस को उखाड़ फेंकने की कसम खा ली और अपनी उम्र की सीमाओं का लबादा उतार दिया और सीधे मोदी-अमित शाह से आर-पार का ऐलान कर दिया।

शरद पवार का यह दांव भाजपा लिए भारी पड़ा, जिससे मुख्यमंत्री फड़नवीस को अपना इस्तीफा देना पड़ा, परन्तु इसके पीछे संवैधानिक नैतिकता और विश्वसनीयता का भी व्यापक मुद्दा जुड़ा हुआ है। सबसे हैरतंगेज बात तो यह कि 23 नवम्बर को राज्यपाल श्री कोश्यारी ने सुबह-सवेरे आनन-फानन में शपथ दिलाकर मुख्यमन्त्री फडणवीस को विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने के लिए 14 दिनों का समय दे दिया। उनका यही फैसला कानून की नजर में संवैधानिक मर्यादा के विरुद्ध साबित हुआ।

भाजपा को सरकार गठन के मामले में उतावलापन दिखाने से बचना चाहिए था। आखिर उसने कर्नाटक के अनुभव से कोई सबक क्यों नहीं सीखा? राजनीतिक नफा-नुकसान की परवाह न करते हुए भाजपा को यह आभास हो तो बेहतर है कि ढ़ाई दिन वाली फड़णवीस सरकार से वह उपहास का ही पात्र बनी है। साथ ही शिवसेना अपनी जीत के कितने ही दावे करे, लेकिन यथार्थ को कोई नहीं बदल सकता कि महाराष्ट्र की भावी सरकार मौकापरस्ती की राजनीति का शर्मनाक उदाहरण होगी। कुल मिलाकर देखा जाए तो महाराष्ट्र का ताजा घटनाक्रम इतिहास में भारतीय लोकतंत्र के एक शर्मनाक अध्याय के रूप में ही दर्ज होगा।

:- बरुण कुमार सिंह

बरुण कुमार सिंह
ए-56/ए, प्रथम तल, लाजपत नगर-2
नई दिल्ली-110024
मो. 9968126797
ई-मेल: barun@live.in

इस लेख में लेखक के निजी विचार है इस लेख से teznews.com का कोई सरोकार नहीं

Related Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...

सीएम शिंदे को लिखा पत्र, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को लेकर कहा – अंधविश्वास फैलाने वाले व्यक्ति का राज्य में कोई स्थान नहीं

बागेश्वर धाम के कथावाचक पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का महाराष्ट्र में दो दिवसीय कथा वाचन कार्यक्रम आयोजित होना है, लेकिन इसके पहले ही उनके...

IND vs SL Live Streaming: भारत-श्रीलंका के बीच तीसरा टी20 आज

IND vs SL Live Streaming भारत और श्रीलंका के बीच आज तीन टी20 इंटरनेशनल मैचों की सीरीज का तीसरा व अंतिम मुकाबला खेला जाएगा।...

पिनाराई विजयन सरकार पर फूटा त्रिशूर कैथोलिक चर्च का गुस्सा, कहा- “नए केरल का सपना सिर्फ सपना रह जाएगा”

केरल के कैथोलिक चर्च त्रिशूर सूबा ने केरल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि उनके फैसले जनता के लिए सिर्फ मुश्कीलें खड़ी...

अभद्र टिप्पणी पर सिद्धारमैया की सफाई, कहा- ‘मेरा इरादा CM बोम्मई का अपमान करना नहीं था’

Karnataka News कर्नाटक में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सीएम मुझे तगारू (भेड़) और हुली (बाघ की तरह) कहते हैं...

Stay Connected

5,577FansLike
13,774,980FollowersFollow
136,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

इंदौर में बसों हुई हाईजैक, हथियारबंद बदमाश शहर में घुमाते रहे बस, जानिए पूरा मामला

इंदौर: मध्यप्रदेश के सबसे साफ शहर इंदौर में बसों को हाईजैक करने का मामला सामने आया है। बदमाशों के पास हथियार भी थे जिनके...

पूर्व MLA के बेटे भाजपा नेता ने ज्वाइन की कांग्रेस, BJP पर लगाया यह आरोप

भोपाल : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ग्वालियर में भाजपा को झटका लगा है। अशोकनगर जिले के मुंगावली के भाजपा नेता यादवेंद्र यादव...

वीडियो: गुजरात की तबलीगी जमात के चार लोगों की नर्मदा में डूबने से मौत, 3 के शव बरामद, रेस्क्यू जारी

जानकारी के अनुसार गुजरात के पालनपुर से आए तबलीगी जमात के 11 लोगों में से 4 लोगों की डूबने से मौत हुई है।...

अदाणी मामले पर प्रदर्शन कर रहा विपक्ष,संसद परिसर में धरने पर बैठे राहुल-सोनिया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण भी पहले की तरह धुलने की कगार पर है। एक तरफ सत्ता पक्ष राहुल गांधी...

शिंदे सरकार को झटका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ‘दखलअंदाजी’ बताकर खारिज किया फैसला

मुंबई :सहकारी बैंक में भर्ती पर शिंदे सरकार को कड़ी फटकार लगी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे...