नई दिल्ली – आज यानी गुरुवार को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन में 22-23 फीसदी की बढ़ोतरी का तोहफा मिल सकता है। वेतन आयोग ने कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है।
बेसिक सैलरी के अलावा अन्य भत्तों जैसे एचआरए और डीए में भी बढ़ोतरी होनी है। इस तरह कुल मिलाकर एक कर्मचारी के वेतन में 22-23 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
सातवें वेतन आयोग के तहत की गई ये बढ़ोतरी 1 जनवरी 2016 से लागू होगी। वेतन आयोग ने यह रिपोर्ट न्यायमूर्ति एके माथुर की अगुवाई में तैयार की है। आयोग के सदस्यों में इसमें 1978 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी विवेक राय और अर्थशस्त्री रथिन राय भी हैं।
ऐसे समझें
अगर केंद्र सरकार के किसी कर्मचारी का वेतन सभी भत्तों समेत 50 हजार रुपए है, तो इस बढ़ोतरी के बाद उसका वेतन 11,500 (50 हजार का 23 प्रतिशत) रुपए बढ़ जाएगा। इस तरह से उस कर्मचारी का कुल वेतन 61,500 (50,000+11,500) रुपए हो जाएगा।
आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एके माथुर ने मंगलवार को रिपोर्ट तैयार होने की जानकारी दी थी। इसे तैयार करने में संगठनों, महासंघों और कर्मचारियों के प्रतिनिधियों समेत सभी संबंधित पक्षों की राय शामिल की गई है।
सूत्रों के अनुसार 900 पन्नों की रिपोर्ट में ग्रुप ए में आने वाली सभी सेवाओं को समानता पर लाने की सिफारिश की गई है। अभी केंद्र सरकार के ऊंचे पदों पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का कब्जा है।
[box type=”info” ]चौथा वेतन आयोग : एक जनवरी 1986 से प्रभावी
पांचवां वेतन आयोग : एक जनवरी 1996 से प्रभावी
छठा वेतन आयोग : एक जनवरी 2006 से प्रभावी
सातवां वेतन आयोग : एक जनवरी 2016 से होना है लागू [/box]
रिपोर्ट में सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा को भी नहीं बदला गया है। अगर कैबिनेट आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दे देती है तो अगले साल एक जनवरी से नया वेतनमान लागू हो जाएगा।
इससे केंद्र सरकार के 48 लाख कर्मचारियों और 55 लाख पेंशन धारक लाभान्वित होंगे। आयोग की सिफारिशों का असर राज्य सरकार के कर्मचारियों पर भी पड़ेगा।
सरकार ने पिछले साल फरवरी में सातवां वेतन आयोग गठित किया था। इसे 18 महीनों में अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था। हालांकि केंद्रीय कैबिनेट ने इस साल अगस्त में आयोग की अवधि और चार महीने के लिए बढ़ाकर दिसंबर तक कर दी थी।
गौरतलब है कि हर 10 साल पर नये वेतन आयोग का गठन किया जाता है जो मौजूदा वेतन प्रणाली की समीक्षा करती है। इसकी अनुशंसाओं के आधार पर ही वेतन बढ़ोत्तरी का फैसला किया जाता है। राज्य सरकारें भी कुछ संशोधनों के बाद इसे अपनाती हैं।