पीडीपी नेता व जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 35ए को लेकर बड़ा बयान दिया है।
उन्होंने कहा 35ए के साथ छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने के बराबर होगा। वह बोलीं जो हाथ 35ए के साथ छेड़छाड़ करने के लिए उठेगा वो हाथ ही नहीं वो सारा जिस्म जल के राख हो जाएगा।
इससे पहले घाटी में सुरक्षा बलों की अतिरिक्त तैनाती को लेकर महबूबा मुफ्ती बयानबाजी कर चुकी हैं। इस संबंध में उन्होंने कहा कि केंद्र ने घाटी में खौफ पैदा करने के लिए यह फैसला लिया है।
गौरतलब हो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल अचानक से घाटी के दौरे पर बुधवार को श्रीनगर पहुंचे थे।
वहां उन्होंने सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के टॉप ऑफिसरों के साथ अलग-अलग बैठकें की थीं।
इससे पहले पुलवामा हमले के बाद 24 फरवरी को देशभर से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों को कश्मीर भेजा गया था।
अमरनाथ यात्रा की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था पर भी महबूबा ने विरोध जताया था। बताना चाहेंगे जम्मू-कश्मीर में अभी राज्यपाल शासन है।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने 26 जुलाई को ट्वीट किया था, केंद्र ने घाटी में 1,000 सैनिक और तैनात करने का निर्णय लिया है। यह लोगों में भय का माहौल पैदा करेगा।
कश्मीर में सुरक्षाबलों की कोई जरूरत ही नहीं है। जम्मू-कश्मीर का मामला राजनीतिक है। इसे सेना से नहीं सुलझाया जा सकता।
सरकार को इस बारे में फिर से सोचने की जरूरत है। कुछ लोग कश्मीर में 100 अतिरिक्त कंपनियां भेजने को अनुच्छेद 35ए को भंग करने से पहले केंद्र की तैयारी के रूप में देख रहे हैं तो कई कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में तेजी लाने के लिए।
यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर राज्य की विधायिका को शक्ति प्रदान करता है और उन स्थायी निवासियों को विशेषाधिकार प्रदान करता है तथा राज्य में अन्य राज्यों के निवासियों को कार्य करने या संपत्ति के स्वामित्व की अनुमति नहीं देता है।
गृह मंत्रालय के इस फैसले से कयास लगने लगे हैं कि अनुच्छेद 35ए को हटाया जा सकता है। इससे पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 25 जुलाई को मोदी सरकार से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने को कहा था।
कोर्ट में अनुच्छेद 370 और 35ए को चुनौती देने वाली याचिकाएं लंबित हैं। वहीं, राज्य की नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और राज्य के सभी क्षेत्रीय दलों ने अनुच्छेद 370 और 35ए से छेड़छाड़ का विरोध किया है।