सोमवती अमावस्या ज्योतिषाचार्यों की मानें तो अषाढ़ मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या अत्यंत शुभकारी होती है। इस दिन गंगा स्नान के बाद गरीबों को दान और कन्या भोज कराने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. सोमवती अमावस्या पर पीपल वृक्ष की पूजा करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है।
यूं तो अमावस्या हर बार आती है किंतु सोमवार की अमावस्या का अलग ही महत्व शास्त्रों में बताया गया है. सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस बार यह 4 जुलाई को पड़ी है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पाण्डेय और कुलदीप शास्त्री ने बताया कि यह हिंदी वर्ष की पहली सोमवती अमावस्या है। आषाढ़ मास की अमावस्या होने के कारण जनमानस के लिए यह शुभ मानी गयी है। इस दिन पीपल के पेड़ पर विशेष पूजन करने का विधान है।
108 फल लेकर पीपल में 108 परिक्रमा करने के बाद इन फलों को कन्या को दान करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। गरीबों को कराएं भोजन : गरीबों को भोजन कराना अत्यंत ही शुभकारी माना गया है. पीपल वृक्ष में ब्रह्म देवता का वास होता है. चूंकि 5 जुलाई से गुप्त नवरात्र भी शुरू हो रहे हैं। इसलिए इस अमावस्या का महत्व अधिक बढ़ गया है।
अमावस्या पर गंगा स्नान, दान के बाद छतरी दान का भी महत्व है। चंद्रमा को दें अर्घ्य : सोमवती अमावस्या पर पूजन करने के बाद रात्रि में चंद्रमा को चीनी और जल मिलाकर अर्घ्य दें। दक्षिणी-पूर्व दिशा की ओर मुख कर चंद्रमा को अर्घ्य दें. ऐसा करने से विशेष मनोकामना की पूर्ति होगी। महिला ज्योतिषाचार्य रेखा द्विवेदी ने बताया कि इस बार (हिंदी वर्ष) दो सोमवती अमावस्या पड़ रही हैं। 27 मार्च 2017 को भी सोमवती अमावस्या है।