कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को 2019 में पीएम पद का स्वाभाविक उम्मीदवार बताए जाने के दो दिन बाद कांग्रेस ने अपने कदम पीछे खींच लिए हैं।
दो दिनों के अंदर सहयोगी दलों के बीच तनातनी और फुसफुसाहट के बाद मंगलवार (24 जुलाई) को पार्टी सूत्रों ने बताया कि 2019 के आम चुनाव में भाजपा को हराने के मकसद से राहुल गांधी पीएम पद की उम्मीदवारी भी छोड़ सकते हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक जो पार्टी लोकसभा चुनावों में भाजपा को हराएगी उसके नेता पीएम हो सकते हैं।
कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि उनका मकसद राहुल को पीएम बनाना नहीं बल्कि 2019 में पीएम नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करना है। पार्टी का कहना है कि संघ समर्थित भाजपा को हराने के लिए ही समान विचारधारा वाली पार्टियां एकसाथ हुई हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक लोकसभा में महागठबंधन की जीत उत्तर प्रदेश और बिहार में चुनावी गठबंधन पर निर्भर करेगा। कांग्रेस को भरोसा है कि अगर इन दो राज्यों में मजबूत गठबंधन हो गया तो यहां की 120 सीटों समेत पड़ोसी झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पश्चिम बंगाल की करीब 120 अन्य सीटों पर भी बीजेपी को जोरदार टक्कर मिल सकता है।
पार्टी सूत्रों का मानना है कि अगर 2019 में बीजेपी 230-240 सीट जीत पाने में नाकाम रहती है तो पिर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे। हालांकि, इसके लिए दो राज्यों की महिला क्षेत्रीय क्षत्रपों की भूमिका अहम होगी। अगर चुनाव परिणाम महागठबंधन के पक्ष में आए तो उत्तर प्रदेश से बसपा सुप्रीमो मायावती या पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी महागठबंधन की तरफ से पीएम बन सकती हैं।
दरअसल, कांग्रेस के स्टैंड में यह बदलाव तब आया है, जब मायावती ने साफ किया कि वो कांग्रेस से तभी गठबंधन करेंगी जब उन्हें सम्मानजनक सीटें मिलेंगी। बता दें कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधान सभा चुनाव के लिए कांग्रेस और बसपा के बीच तालमेल पर बातचीत चल रही है।
उधर, सपा भी लोकसभा से पहले ही विधानसभा चुनावों में ही महागठबंधन बनाने को इच्छुक है। राजद की तरफ से भी तेजस्वी यादव ने कहा था कि पीएम पद पर फैसला चुनाव बाद तय किया जाएगा। इसके बाद कांग्रेस ने बीजेपी को हराना पहली प्राथमिकता तय करते हुए पीएम पद पर अपना स्टैंड पीछे खींच लिया।