नई दिल्ली – दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के इच्छुक हैं, लेकिन प्रधानमंत्री की व्यस्तता के कारण उन्हें पीएमओ से मुलाकाल की हरी झंडी नहीं मिल पा रही है।
वहीं, प्रधानमंत्री कार्यालय ने बयान जारी कर कहा है कि प्रधानमंत्री की व्यस्तता के चलते मुलाकात का समय देना संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में वह केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली व गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर अपनी बात रख सकते हैं।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने तकरीबन 10 दिन पहले प्रधानमंत्री से मुलाकात के लिए समय मांगा था। उम्मीद की जा रही है कि केजरीवाल प्रधानमंत्री से मुलाकात कर केंद्र और राज्य के बीच चल रहे तमाम गतिरोधों पर वार्ता करना चाहते हैं। इसमें जनलोकपाल बिल, पूर्ण राज्य का दर्जा समेत कई अहम मुद्दे शामिल हैं।
इससे पहले 20 जून को राष्ट्रपति भवन में तंजानिया के राष्ट्रपति के सम्मान में हुए डिनर में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई थी। इसके बाद अरविंद केजरीवाल 21 सुबह राजपथ पर हुए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में शरीक हुए थे।
जनलोकपाल बिलः दिल्ली में जनलोकपाल बिल पास कराने के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार को उसे केंद्र सरकार को भेजना पड़ेगा। यह प्रस्ताव केंद्र की मंजूरी से ही पास होगा।
इतना ही नहीं, कोई भी बिल जो विधानसभा में पास होगा, उसको केंद्र को भेजना पड़ेगा। बिना केंद्र सरकार की सहमति के कानून बनाना केजरीवाल के लिए मुश्किल हो जाएगा।
पूर्ण राज्य का दर्जाः चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों से वादा किया था कि उनकी सरकार दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाएगी।
दिल्ली विधानसभा से अगर पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का प्रस्ताव पास करके केंद्र को भेज भी दिया जाएगा, तो इस मामले पर केंद्र की मदद के बिना प्रस्ताव पास कराना मुश्किल होगा।
इतना ही नहीं प्रस्ताव को पास करने के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है। यह बहुमत केंद्र की बीजेपी सरकार के पास भी नहीं है। राज्यसभा में तो बीजेपी के पास सामान्य बहुमत तक नहीं है। आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में इस प्रस्ताव को शामिल किया है।
जमीनः दिल्ली की जमीन दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के अंतर्गत आती है। डीडीए दिल्ली सरकार के तहत ना होकर केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के तहत है। ऐसे में दिल्ली सरकार को दिक्कत पेश आती है।
आम आदमी पार्टी (आप) ने अपने घोषणापत्र में कहा था कि दिल्ली में 20 नए कॉलेज खोले जाएंगे। जाहिर है इन कॉलेजों के लिए जमीन डीडीए से लेनी पड़ेगी। ऐसे में केंद्र सरकार की मदद के बिना पार्टी अपना वादा नहीं पूरा कर सकती।