नई दिल्ली : नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी (एनएमएमएल) का पुनर्गठन किया गया है। संस्कृति मंत्रालय की ओर से किए गए इस पुनर्गठन में कांग्रेस नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ कांग्रेस नेताओं के स्थान पर गीतकार प्रसून जोशी, टीवी पत्रकार रजत शर्मा, लेखकर अनिर्बान गांगुली को जगह दी गई है। कांग्रेस सरकार के इस कदम पर हमलावर है और इस फैसले पर सवाल उठा रही है।
नेहरू म्यूजियम सोसाइटी से कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, करण सिंह और जयराम रमेश को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इस सोसाइटी के अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपाध्यक्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह है। कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उदार मूल्यों में यकीन रखनेवाली शख्सियतों को यहां जगह नहीं दी गई। अन्य सदस्यों में सचिदानंद जोशी, शिक्षाविद कपिल कपूर, वैदिक और बुद्धिस्ट स्कॉलर लोकेश चंद्र, शिक्षाविद मकरंद परांजपे, किशोर मकवाना, कमलेश जोशीपुरा और रिजवान कादरी को शामिल किया गया है।
नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की याद में बनाया गया था। इस सोसायटी में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर भी शामिल हैं। अक्सर विदेश नीति और दूसरे फैसलों को लेकर कांग्रेस और नेहरू पर खासी हमलावर रहनेवाली बीजेपी ने उनकी स्मृति में बनाए सोसाइटी से कांग्रेस नेताओं को जरूर बाहर कर दिया है।
सरकार के इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि मोदी और शाह की जोड़ी नेहरू परंपरा को खत्म करना चाहती है। रमेश ने सदस्यों के चयन पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘नई सोसाइटी में स्वतंत्रत विचारकों, विद्वानों और उदार मूल्यों में यकीन रखनेवालो को यहां जगह नहीं दी गई है। मोदी-अमित शाह की जोड़ी एनएमएमएल की परंपरा को खत्म करने पर आमदा है।’