प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में विपक्ष पर करारा प्रहार किया। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को भारत रत्न देने के अपनी सरकार के फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने विपक्ष के उन आरोपों पर भी पलटवार किया जिसमें कहा गया था कि पहले की सरकारों के योगदान को उन्होंने नकार दिया है।
पीएम ने आगे तंज कसते हुए कहा, ‘कल सदन में नारे लगाए जा रहे थे और आज 25 जून है।’ उन्होंने कहा कि कई लोगों को तो जानकारी भी नहीं है कि 25 जून को क्या हुआ था, अगल-बगल पूछना पड़ता है। ऐसे में यह याद दिलाना जरूरी है कि 25 जून की रात देश की आत्मा को कुचल दिया गया था।
उन्होंने कहा कि सिर्फ अपनी सत्ता बचाने के लिए देश को जेलखाना बना दिया गया था। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल के 3 हफ्ते की उपलब्धियों का भी जिक्र किया।
पीएम ने आगे कहा, ‘भारत में लोकतंत्र संविधान के पन्नों से पैदा नहीं हुआ है, भारत में लोकतंत्र सदियों से हमारी आत्मा है। उस आत्मा को कुचल दिया गया था, मीडिया को दबोच लिया गया था। देश के महापुरुषों को सलाखों के पीछे बंद कर दिया गया था। देश को जेलखाना बना दिया गया था और सिर्फ इसलिए कि किसी की सत्ता न चली जाए।’
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका का फैसला था, कोर्ट का अनादर कैसे होता है, उसका वह जीता-जागता उदाहरण है।
पीएम ने कहा कि आज हमें लोकतंत्र के प्रति फिर एक बार अपना संकल्प समर्पित करना होगा। उस समय जो भी इस पाप के भागीदार थे, ये दाग कभी मिटने वाला नहीं है। इसका स्मरण करना भी जरूरी है ताकि फिर कोई पैदा न हो जिसे इस रास्ते पर जाने की इच्छा हो जाए। उन्होंने कहा कि यह किसी को भला-बुरा कहने के लिए नहीं है।
पीएम ने कहा कि उस समय मीडिया पर ताले थे, हर किसी को लगता था कि पुलिस पकड़ लेगी। जाति, पंथ, संप्रदाय से ऊपर उठकर देश ने उस समय चुनाव में नतीजा दिया था।
मतदाताओं ने लोकतंत्र को फिर से स्थापित किया था। इस बार फिर एक बार देश ने पंथ, जाति, संप्रदाय से ऊपर उठकर मतदान किया है।
PM ने कहा कि यहां कुछ तीखी बातें बताई गईं, ज्यादातर चुनावी सभाओं की बातें बताई गईं। उन्होंने कहा कि हर एक का अपना अजेंडा होता है लेकिन यहां कहा गया कि हमारी ऊंचाई को कोई कम नहीं कर सकता है।
पीएम ने चुटीले अंदाज में कहा, ‘हम किसी लकीर को छोटी करने में समय बर्बाद नहीं करते। हम हमारी लकीर को लंबी करने के लिए जिंदगी खपा देते हैं। आपकी ऊंचाई आपको मुबारक क्योंकि आप इतने ऊंचे चले गए हैं कि आपको जमीन दिखना बंद हो गई। आप इतने ऊंचे चले गए हैं कि जमीन से उखड़ चुके हैं।
आपको जमीन के लोग तुच्छ दिखते हैं और इसलिए आपका और ऊंचा होना मेरे लिए अत्यंत संतोष और आनंद की बात है। मेरी कामना है कि आप और ऊंचे बढ़ें।’
PM ने कहा कि हमारा सपना ऊंचा होने का नहीं, जड़ों से जुड़ने का है। हमारा सपना जड़ों से मजबूती पाकर देश को आगे ले जाना है। हम आपको शुभकामनाएं ही देंगे कि आप और ऊंचे, और ऊंचे जाइए।
पीएम ने कहा, ‘2004 से पहले देश में वाजपेयी सरकार थी। 2004 से 2014 में शासन में बैठे लोग सरकारी कार्यक्रमों में अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ की हो, नरसिम्हा राव की सरकार या अभी के भाषणों में भी किसी ने मनमोहन सिंह का नाम लिया हो तो बताएं।’
उन्होंने बताया, ‘लाल किले से शायद मैं पहला प्रधानमंत्री हूं जिसने आजादी से लेकर केंद्र और राज्य की जितनी सरकारें हुईं, सबका देश को आगे ले जाने में योगदान है, इसे कहा। सदन में भी मैंने कई बार कहा है और दोबारा कहता हूं।’
अपने सीएम कार्यकाल का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘गुजरात के 50 साल हुए थे। उस गोल्डन जुबिली इयर का एक महत्वपूर्ण काम मैं बताना चाहता हूं। मैंने 50 साल में हुए सभी राज्यपालों के भाषणों का ग्रंथ बनाने की सोची और उसमें सरकारों के काम का लेखाजोखा था। हमारे दल की सरकारें नहीं थी, लेकिन यह हमारी सोच का हिस्सा था। यह आज भी उपलब्ध है इसलिए यह कहना कि पहले जो काम हुए हैं उसको हम गिनते ही नहीं हैं, गलत है।’
पीएम ने अपने भाषण के दौरान कहा, ‘जब हौसला बना लिया ऊंची उड़ान का, फिर देखना फिजूल है कद आसमान का’।
उन्होंने कहा कि हम इसी मिजाज के साथ आगे बढ़ रहे हैं। पीएम ने अपनी सरकार ने 3 सप्ताह के भीतर लिए गए कई महत्वपूर्ण फैसले भी गिनाए। उन्होंने कहा, ‘छोटे किसान, मजदूर के लिए 60 साल बाद पेंशन, पीएम किसान योजना के तहत सभी किसानों को दायरे में लाया गया, सेना के जवानों के बच्चों को स्कॉलरशिप में वृद्धि, इसके साथ ही पुलिस के जवानों के बच्चों को भी लाभ का फैसला हुआ। मानव अधिकारों से जुड़े अहम कानून लाने के लिए तैयारी पूरी की।’ उन्होंने कहा कि गिनती करेंगे तो रोज करीब तीन बड़े फैसले लिए गए।
मोदी ने कहा कि 5 साल हमारे मन में यही भाव रहा कि जिसका कोई नहीं उसके लिए सरकार होती है। उन्होंने कहा कि जाने-अनजाने हमने आजादी के बाद एक ऐसे कल्चर को बढ़ावा दिया जिसमें सामान्य इंसान को अपने हक के लिए व्यवस्था से लड़ना पड़ता है।
उन्होंने सवाल किया, ‘क्या उसे सहज रूप से उसके हक की चीजें नहीं मिलनी चाहिए? पर हमने मान लिया था कि यह सब ऐसे ही चलता है। राज्यों को भी साथ लाने में मुश्किल होती है लेकिन मैं संतोष के साथ कह सकता हूं कि हमने दिशा सही पकड़ी और उसे छोड़ा नहीं।’
उन्होंने कहा कि शौचालय, घर में चूल्हा जैसी पहल से लोगों ने सरकार के मकसद को समझा और आज लोगों के मन में विश्वास पैदा हुआ है कि सरकार यह सब क्यों कर रही है?
उन्होंने कहा कि गरीबों का कल्याण हो और साथ ही आधुनिक भारत को भी मजबूती से आगे बढ़ाना चाहिए। हमने दोनों तरफ बल दिया।
पीएम ने कहा कि ऐसा नहीं है कि पहले की सरकारों ने कोई काम नहीं किया पर अच्छा होता कि आंबेडकर के नाम का भी संसद में उल्लेख होता।
उन्होंने कहा कि देश में पानी के संबंध में जितनी भी पहल की गई, वह सब बाबा साहब आंबेडकर ने की लेकिन बहुत ऊंचाई पर जाने के बाद दिखता ही नहीं है। इस पर सत्ता पक्ष के सांसद हंस पड़े।
पीएम ने कहा कि यहां सरदार सरोवर डैम की भी बात आई। ऐसे भ्रम फैलाए जाते हैं। पीएम ने कहा कि सरदार सरोवर डैम की नींव 1961 में पंडित नेहरू ने रखी थी और यह सरदार पटेल का सपना था जिसे दशकों तक मंजूरी नहीं मिली। उस समय 6,000 करोड़ का प्रॉजेक्ट का था जो पूरा होते-होते 70 हजार करोड़ तक पहुंच गया।
यूपीए के समय में भी इसे रोकने का प्रयास हुआ। हमने आकर पूरा किया। यूपीए सरकार के खिलाफ मुझे अनशन पर बैठना पड़ा। मैंने पीएम बनने के बाद रुकावटें हटाईं। आज करीब 4 करोड़ लोगों को पीने का पानी मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि पानी की महत्ता को समझते हुए हमने जलशक्ति मंत्रालय अलग से बनाया है। इस सीजन में भी हम जितना बल जल संचय पर दें, हमें देना चाहिए। पानी का संकट गरीबों और माताओं-बहनों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। लोहिया कहते थे कि महिलाओं को पानी और पैखाना दो बड़ी दिक्कत है। हमने पैखाने का सपना पूरा किया, अब पानी पर आगे बढ़ रहे हैं।