अमृतसर – देशभर में दिवाली की धूम के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिवाली मनाने के लिए सैनिकों के बीच पहुंचे। गौरतलब है कि पीएम मोदी ने पिछले साल भी दिवाली सैनिकों के साथ मनाई थी और सियाचिन गए थे। इस बार वे अमृतसर में डोगराई युद्ध स्मारक पहुंचे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि दुनिया हमारे सैनिकों के पराक्रम और चरित्र के कारण ही भारत को सम्मान की नजर से देखती है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जब ‘वन रैंक वन पेंशन’ के मुद्दे पर कई पूर्व सैनिक प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री बुधवार को अमृतसर में खासा स्थित डोगराई युद्ध स्मारक गए और पुष्पांजलि अर्पित की। यह स्थान सबसे कठिन युद्धस्थल के रूप में जाना जाता है। भारतीय सैनिकों ने 22 सितंबर, 1965 के युद्ध में यहीं विजय हासिल की थी।
उन्होंने पंजाब के अमृतसर में खेमकरण रोड पर वलतोहा के पास आसल उत्ताड़ स्मारक और परमवीर चक्र विजेता कंपनी क्वार्टरमास्टर हवलदार अब्दुल हमीद की समाधि पर भी पुष्पचक्र अर्पित किया।
मोदी ने इस बात का जिक्र किया कि 1965 में आसल उत्ताड़ की लड़ाई के दौरान हमीद ने अकेले ही दुश्मन के तीन टैंक नष्ट कर दिए और उनके आक्रमण को रोकने में मदद की, जबकि वह बुरी तरह से घायल थे।
मोदी ने बाद में ट्वीट किया, ‘‘सीक्यूएमएच अब्दुल हमीद को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्हें उनकी वीरता के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।’’
आसल उत्ताड़ मेमोरियल आसल उत्ताड़ की लड़ाई का प्रतीक है, जो 1965 में भारतीय सरजमीं पर लड़ी गईं टैंकों की सबसे बड़ी लड़ाइयों में से एक थी।
खासा में सैनिकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपके साथ दिवाली मनाने आया हूं। मैं इस अवसर को पाकर खुश हूं।’’ सैनिकों की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आपके पराक्रम, समर्पण और सपनों के कारण पूरी दुनिया भारत को सम्मान की नजर से देखती है। यह केवल वर्दी के कारण नहीं, बल्कि सशस्त्र बलों के चरित्र के कारण है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया में भारत का सिर गर्व से ऊंचा रहता है, क्योंकि सशस्त्र बलों के नेताओं की पीढ़ियों ने बलों को संजोया संवारा है।
मोदी ने कहा, ‘‘मैं उन लोगों को बधाई देता हूं जिन्होंने इन वर्षों में सशस्त्र बलों को नेतृत्व प्रदान किया।’’ सशस्त्र बलों के चरित्र की सराहना करने का प्रधानमंत्री का बयान ऐसे समय में आया है, जब पूर्व सैनिकों का एक वर्ग आरोप लगा रहा है कि ‘वन रैंक, वन पेंशन’ को लागू करते हुए उनकी सभी मांगें नहीं मानी गई हैं। इसके विरोध में कई पूर्व सैनिकों ने अपने मेडल भी लौटा दिए हैं।
प्रधानमंत्री ने बाद में ट्वीट किया, ‘‘मैंने सैनिकों के साथ समय बिताया और उनके साथ काफी अच्छी बातचीत हुई।’’