नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को स्वामी चिदभवानन्दजी की ‘भगवद् गीता’ के किंडल संस्करण का विमोचन किया। पीएम मोदी ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ‘गीता हमें खुले मन से सोचने, प्रश्न पूछने और चर्चा करने के लिए प्रेरित करती है।’
चिदभवानन्दजी की ‘भगवद् गीता’ की 5 लाख से ज्यादा प्रतियों की हो चुकी बिक्री
बताना चाहेंगे यह कार्यक्रम स्वामी चिदभवानन्दजी की ‘भगवद् गीता’ की 5 लाख से ज्यादा प्रतियों की बिक्री होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया। स्वामी चिदभवानन्दजी तमिलनाडु के तिरुच्चिराप्पल्ली स्थित तिरुपराथुरई में श्री राम कृष्ण तपोवनम आश्रम के संस्थापक हैं। गीता पर उनका विद्वत्तापूर्ण कार्य इस विषय पर अब तक लिखी पुस्तकों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। गीता का तमिल संस्करण जिसमें उनकी टिप्पणियां भी शामिल हैं, 1951 में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद 1965 में उसका अंग्रेजी संस्करण प्रकाशित हुआ था।
जीवंत जिंदगी जीने के लिए गीता प्रमुख पथ प्रदर्शक
पीएम मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा, स्वामी चिदभवानन्दजी को मैं नमन करता हूं। वे स्वामी विवेकानंद से प्रभावित हुए थे। स्वामी विवेकानंद ने हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि रखा।
गीता हमारे मन-मस्तिष्क को खोलती है। गीता विषाद से विजय का प्रतीक है। गीता ज्ञान का महासागर है। पूरी मानवता महामारी से लड़ रही है। गीता इस विषय में भी प्रासंगिक है। कोरोना से हमारे देश के लोगों ने पूरी क्षमता के साथ लड़ाई लड़ी है। जीवंत जिंदगी जीने के लिए गीता प्रमुख पथ प्रदर्शक है। 1 अरब 30 करोड़ लोगों ने आत्मनिर्भर बनने का निर्णय लिया है। आत्मनिर्भर भारत पूरी दुनिया के लिए बेहतर है।
युवाओं को गीता का अध्ययन करना चाहिए
हमारे युवाओं को गीता का अध्ययन जरूर करना चाहिए, भगवद् गीता पूरी तरह व्यवहारिक ज्ञान पर आधारित है। युवाओं में ई-बुक्स विशेष रूप से लोकप्रिय हो रही हैं। इसलिए, यह प्रयास अधिक से अधिक युवाओं को गीता के महान विचारों के साथ जोड़ेगा।
आचार्य विनोबा भावे ने गीता को माता के रूप में वर्णित किया
पीएम मोदी ने कहा, मैं स्वामी चिद्भवानंद जी को श्रद्धांजलि देना चाहूंगा। उनका मन, शरीर, हृदय आत्मा और जीवन भारत के उत्थान के लिए समर्पित था। गीता की सुंदरता उसकी गहराई, विविधता और लचीलेपन में है। आचार्य विनोबा भावे ने गीता को माता के रूप में वर्णित किया जो किसी के ठोकर लगने पर उसे अपनी गोद में ले लेती है। महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, महाकवि सुब्रमण्यम भारती जैसे महान व्यक्तित्व गीता से प्रेरित थे।
गीता से मिलती है हमें प्रेरणा
गीता हमें सोचने पर मजबूर करती है। यह हमें सवाल करने के लिए प्रेरित करती है। यह चर्चा के लिए प्रोत्साहित करती है। गीता हमारे मन को खुला रखती है। आत्मनिर्भर भारत के मूल में वेल्थ (wealth) और वैल्यू (value) पैदा करना है – न केवल अपने लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए। हमारा विश्वास है कि आत्मनिर्भर भारत पूरी दुनिया के लिए बेहतर है।