देश में जारी कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार 31 मई को रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं।
लॉकडाउन के दौरान तीसरी बार प्रधानमंत्री जनता को इस कार्यक्रम के जरिए संबोधित कर रहे हैं। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने बीते सोमवार को इस कार्यक्रम के लिए जनता से सुझाव भी मांगे थे।
देश में लागू लॉकडाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए तीसरी बार देशवासियों को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि सबके सामूहिक प्रयासों से कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत मजबूती से लड़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि देश अब खुल रहा है ऐसे में हमें और अधिक सतर्क रहने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने संकट की इस घड़ी के दौरान इनोवेशन को जरूरी बताया। उन्होंने चक्रवाती तूफान अम्फान से लेकर देश में टिड्डी संकट को लेकर अपने विचार व्यक्त किए। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे अतंरराष्ट्रीय स्तर पर लोग योग को अपना रहे हैं।
नदियां सदा स्वच्छ रहें, पशु-पक्षियों को भी खुलकर जीने का हक मिले, आसमान भी साफ-सुथरा हो, इसके लिए हम प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर जीवन जीने की प्रेरणा ले सकते हैं। मेरे प्यारे देशवासियो हम बार-बार सुनते हैं ‘जल है तो जीवन है- जल है तो कल है’ लेकिन जल के साथ हमारी जिम्मेवारी भी है। मेरे प्यारे देशवासियो, स्वच्छ पर्यावरण सीधे हमारे जीवन, हमारे बच्चों के भविष्य का विषय हैI इसलिए हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी इसकी चिंता करनी होगी।
मेरे प्यारे देशवासियो कुछ दिन बाद ही 5 जून को पूरी दुनिया ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाएगी। इस साल की थीम है- बायो डायवर्सिटी यानी जैव-विविधिताI वर्तमान परिस्थितियों में यह थीम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। लॉकडाउन के दौरान पिछले कुछ हफ़्तों में जीवन की रफ्तार थोड़ी धीमी जरुर हुई है लेकिन इससे हमें अपने आसपास, प्रकृति की समृद्ध जैव-विविधता को देखने का अवसर भी मिला हैI सालों बाद पक्षी की आवाज़ को लोग अपने घरों में सुन रहे हैं।
साथियो एक तरफ जहां पूर्वी भारत तूफान से आई आपदा का सामना कर रहा है, दूसरी तरफ देश के कई हिस्से टिड्डियों के हमले से प्रभावित हुए हैं। इन हमलों ने फिर हमें याद दिलाया है कि ये छोटा सा जीव कितना नुकसान करता है। भारत सरकार, राज्य सरकार, कृषि विभाग, प्रशासन टिड्डी संकट के नुकसान से बचने के लिए, किसानों की मदद के लिए, आधुनिक संसाधनों का उपयोग कर रहा है। नए-नए आविष्कार की तरफ भी ध्यान दे रहा है और मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर के हमारे कृषि क्षेत्र को बचा लेंगे।
मेरे प्यारे देशवासियो एक तरफ हम महामारी से लड़ रहें हैं, तो दूसरी तरफ हमें हाल में पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में प्राकृतिक आपदा का भी सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ हफ्तों के दौरान हमने पश्चिम बंगाल, ओडिशा में चक्रवात अम्फान का कहर देखा। हालात का जायजा लेने के लिए मैं पिछले हफ्ते ओडिशा, पश्चिम बंगाल गया था। पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लोगों ने जिस हिम्मत और बहादुरी के साथ हालात का सामना किया है।
मणिपुर के चुरा-चांदपुर में छह साल के बच्चे केलेनसांग उसको भी इसी तरह आयुष्मान भारत से नया जीवन मिला है। कुछ इसी तरह का अनुभव पुड्डुचेरी की अमूर्था वल्ली जी का भी है। आयुष्मान भारत के तहत जिन गरीबों का मुफ्त इलाज हुआ है, उनके जीवन में जो सुख आया है, उस पुण्य के असली हकदार हमारा ईमानदार टैक्स पेयर भी है।
अगर गरीबों को अस्पताल में भर्ती होने के बाद इलाज के लिए पैसे देने पड़ते, इनका मुफ्त इलाज नहीं हुआ होता तो उन्हें एक मोटा-मोटा अंदाज है। करीब-करीब 14 हजार करोड़ रूपए से भी ज्यादा अपनी जेब से खर्च करने पड़ते। साथियो मैंने आपको सिर्फ तीन-चार घटनाओं का जिक्र किया। आयुष्मान भारत से तो ऐसी एक करोड़ से अधिक कहानियां जुड़ी हुई हैं। ये कहानियां जीते-जागते इंसानों की हैं, दुख-तकलीफ से मुक्त हुए हमारे अपने परिवारजनों की है।
‘कपालभाती’ और ‘अनुलोम-विलोम’, ‘प्राणायाम’ से अधिकतर लोग परिचित होंगे। लेकिन ‘भस्त्रिका’, ‘शीतली’, ‘भ्रामरी’ जैसे कई प्राणायाम के प्रकार हैं, जिसके, अनेक लाभ भी हैं। आपके जीवन में योग को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने भी इस बार एक अनोखा प्रयोग किया है। मेरा आपसे अनुरोध है, आप सभी, इस प्रतियोगिता में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में आप हिस्सेदार बनिए। हमारे देश में, करोडों-करोड़ गरीब, दशकों से एक बहुत बड़ी चिंता में रहते आए हैं- अगर बीमार पड़ गए तो क्या होगा? इस तकलीफ को समझते हुए, इस चिंता को दूर करने के लिए ही, करीब डेढ़ साल पहले आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई थी।
हर जगह लोगों ने योग और उसके साथ-साथ आयुर्वेद के बारे में और ज्यादा जानना चाहा है। कितने ही लोग हैं जिन्होंने कभी योग नहीं किया, वे भी ऑनलाइन योगा क्लास से जुड़ गए हैं या ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से योग सीख रहे हैं। कोरोना संकट के इस समय में योग- आज इसलिए भी ज्यादा अहम है, क्योंकि ये वायरस, हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम को सबसे अधिक प्रभावित करता है। योग में तो रेस्पिरेटरी सिस्टम को मजबूत करने वाले कई तरह के प्राणायाम हैं। ये टाइम टेस्टिड टेक्नीक हैं।
कोरोना की वैक्सीन पर, हमारी लैब्स में जो काम हो रहा है उस पर तो दुनियाभर की नजर है और हम सबकी आशा भी। किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए इच्छाशक्ति के साथ ही बहुत कुछ इनोवेशन पर भी निर्भर करता है। साथियो कोरोना एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज नहीं है। पहले का अनुभव नहीं है। ऐसे में नई चुनौतियां, परेशानियां हम अनुभव कर रहें हैं। ये दुनिया के हर देश में हो रहा है इसलिए भारत भी इससे अछूता नहीं है।
मैं सोशल मीडिया में कई तस्वीरें देख रहा था। कई दुकानदारों ने दो गज की दूरी के लिए दुकान में बड़े पाइपलाइन लगा लिए हैं। जिसमें एक छोर से वो ऊपर से सामान डालते हैं और दूसरी छोर से ग्राहक अपना सामान ले लेते हैं। इस दौरान पढ़ाई के क्षेत्र में भी कई अलग-अलग इनोवेशन शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर किए हैं। ऑनलाइन क्लासिज, वीडियो क्लासिज, उसको भी, अलग-अलग तरीकों से इनोवेट किया जा रहा है।
साथियो, हमारे डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडिया के साथी, ये सब जो सेवा कर रहे हैं, उसकी चर्चा मैंने कई बार की है। सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले लोगों की संख्या अनगिनत है। ऐसे ही एक सज्जन हैं तमिलनाडु के सी. मोहन। देश के सभी इलाकों से वूनेम सेल्फ हेल्प ग्रुप के परिश्रम की भी अनगिनत कहानियां इन दिनों हमारे सामने आ रही हैं। गांवों, कस्बों में, हमारी बहनें-बेटियां, हर दिन मास्क बना रही हैं। तमाम सामाजिक संस्थाएं भी इस काम में इनका सहयोग कर रही हैं।
जब मैंने पिछली बार आपसे मन की बात की थी, तब यात्री ट्रेनें बंद थीं, बसें बंद थीं, हवाई सेवा बंद थी। इस बार, बहुत कुछ खुल चुका है। श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं, अन्य स्पेशल ट्रेनें भी शुरू हो गई हैं। तमाम सावधानियों के साथ, हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीरे-धीरे उद्योग भी चलना शुरू हुआ है, यानी, अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है, खुल गया है। ऐसे में, हमें और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है।