जबलपुर- देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए स्किल इंडिया मिशन को मध्य प्रदेश की सरकार ने करारा झटका दिया है। प्रदेश के 113 कौशल विकास केंद्रों से करीब एक हजार कर्मचारियों को निकालने का फरमान जारी कर दिया गया। अचानक आए इस फरमान ने कर्मचारियों की नींद उड़ा दी है।
कर्मचारियों को हटाने का ये आदेश मध्य प्रदेश व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद भोपाल द्वारा जारी किया गया है। बेरोजगार हो चुके कर्मचारी अब अपनी नौकरी वापस पाने और न्याय की गुहार लिए हाईकोर्ट की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
दरअसल साल 2011 में राज्य सरकार ने आदिवासी विकासखंडों में कुशल श्रमिक तैयार करने के लिए प्रदेशभर में करीब 113 कौशल केंद्र खोले थे। इनमें श्रमिकों को प्रशिक्षण देकर रोजगार दिलाने के लिए संविदा पर कर्मचारियों की नियुक्तियां की गई। हर एक केंद्र के लिए 6 कर्मचारियों की नियुक्त किया गया। इनमें मैनेजर, लेखापाल और प्रशिक्षक शामिल थे। इसी दौरान सरकार ने कर्मचारियों की सेवा अवधि भी बढ़ा दी। इससे कर्मचारियों को उम्मीद जाग गई थी कि सरकार आज नहीं तो कल उन्हे नियमित कर देगी। लेकिन पांच साल सेवा देने के बाद अचानक भोपाल से जारी हुए इस फरमान से कर्मचारियों के होश उड़ गए।
कर्मचारियों का कहना है कि पांच साल नौकरी करने के बाद अब हर एक कर्मचारी ओवर एज हो चुका है। लिहाजा अब उन्हें दूसरी नौकरी भी नहीं मिल सकती है। वहीं सभी कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट भी खड़ा हो गया है। कर्मचारियों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें फिर से नौकरी पर वापस बुलाया जाए।
मोदी की स्किल इंडिया मिशन को शिवराज सरकार का झटका, कर्मचारी हुए बेरोजगार
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