प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को असम की धरती से कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर फिर करारा वार किया है।
पीएम ने कोकराझार की रैली में कहा, इतनी बड़ी तादाद में यहां की माताएं-बहनें आशीर्वाद देने आई हैं। इससे मेरा विश्वास और बढ़ गया है। कभी-कभी लोग कहते हैं… डंडा मारने की बातें करते हैं… लेकिन जिस मोदी को इतनी बड़ी मात्रा में माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच मिला हो, उस पर कितने ही डंडे गिर जाएं, उसे कुछ नहीं हो सकता।
बोडो समझौते के बाद पहली बार असम पहुंचे प्रधानमंत्री ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों पर विपक्ष को आडे़ हाथ लेते हुए कहा, मैं आज असम के हर साथी को ये आश्वस्त करने आया हूं कि असम विरोधी, देश विरोधी हर मानसिकता को देश न बर्दाश्त करेगा, न कभी माफ करेगा। यही ताकतें हैं जो पूरी ताकत से असम और पूर्वोत्तर में भी अफवाह फैला रही हैं कि नागरिकता कानून से यहां पर बाहर के लोग आ जाएंगे, बाहर से लोग आकर बस जाएंगे। मैं आश्वस्त करता हूं कि ऐसा भी कुछ नहीं होगा।
पीएम ने कहा, असम शांति समझौता पूर्वोत्तर के लोगों के लिए 21वीं सदी में एक नई शुरुआत है।
पीएम ने कहा, आपके सहयोग से ही स्थायी शांति का रास्ता निकल पाया है। आज का दिन असम सहित पूरे पूर्वोत्तर के लिए 21वीं सदी में एक नई शुरुआत और नए सवेरे का एक नई प्रेरणा का स्वागत करने का अवसर है। आज का दिन संकल्प लेने का है कि विकास और विश्वास की मुख्यधारा को मजबूत करना है। अब हिंसा के अंधकार को इस धरती पर लौटने नहीं देना है। अब इस धरती पर किसी मां के बेटे-बेटी किसी बहन-भाई का खून नहीं गिरेगा। हिंसा नहीं होगी।
पीएम ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि राजनीतिक हित के लिए मुद्दों, मुश्किलों को बनाए रखने और उनको टालते रहने का एक बड़ा नुकसान असम और पूर्वोत्तर को हुआ है, देश को हुआ है।
पीएम ने कहा, असम में इतने दशकों तक यहां गोलियां चलती रहीं, आज शांति स्थापित हुई। न्यू इंडिया का रास्ता खुल गया है। शांति और विकास के नए अध्याय में आपका स्वागत करता हूं। आज जो उत्साह, जो उमंग मैं आपके चेहरे पर देख रहा हूं, वह यहां के आरोनाई और डोखोना के रंगारंग माहौल से भी अधिक संतोष देने वाला है। आजादी के बाद यह सबसे बड़ी राजनीतिक रैली है। मैंने अपने राजनीतिक जीवन में ऐसी रैली नहीं देखी। मैं दिल की गहराई से आपको गले लगाने आया हूं।
मोदी ने कहा, अब केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो आंदोलन से जुड़े संगठनों ने जिस ऐतिहासिक अकॉर्ड पर सहमति जताई है, जिस पर साइन किया है, उसके बाद अब कोई मांग नहीं बची है और अब विकास ही पहली प्राथमिकता है और आखिरी भी। इस अकॉर्ड का लाभ बोडो जनजाति के साथियों के साथ ही दूसरे समाज के लोगों को भी होगा। क्योंकि इस समझौते के तहत बोडो क्षेत्रीय परिषद के अधिकारों का दायरा बढ़ाया गया है, अधिक सशक्त किया गया है।
अकॉर्ड के तहत बोडोलैंड टेरीटोरियल एरिया डिस्ट्रिक्ट्स के तहत क्षेेत्र की सीमा तय करने के लिए कमीशन भी बनाया जाएगा। इस क्षेत्र को 1500 करोड़ रुपए का विशेष विकास पैकेज मिलेगा, जिसका बहुत बड़ा लाभ कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदालगुड़ी जैसे जिलों को मिलेगा। ब्रू-रियांग जनजातीय समाज को ठीक से बसाने के लिए एक विशेष पैकेज दिया जाएगा।
अब सरकार का प्रयास है कि असम अकॉर्ड की धारा-6 को भी जल्द से जल्द लागू किया जाए। मैं असम के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि इस मामले से जुड़ी कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद केंद्र सरकार और त्वरित गति से कार्रवाई करेगी।
पीएम ने कहा, पूर्वोत्तर के 8 राज्यों को मिलाकर 90 हजार करोड़ रुपये से कम मिलते थे। हमारे आने के बाद ये बढ़कर लगभग 3 लाख करोड़ रुपये तय हुआ है।
बोडो बहुल कोकराझार में समझौते के जश्न में शामिल हुए पीएम ने कहा, इस शांति के रास्ते में आपको कांटा न चुभ जाए, इसकी परवाह मैं करूंगा। आप देखना पूरा असम आपके दिलों को जीत लेगा। पूरा हिंदुस्तान आपके दिल को जीत लेगा, क्योंकि आपने रास्ता सही चुना है। इस समझौते में सभी की जीत हुई है। शांति की जीत हुई है, मानवता की जीत हुई है।
पीएम ने कहा, आज वे माताएं मुझे आशीर्वाद दे रही हैं, जिनका बेटा कभी बंदूक लेकर घूमता था। कल्पना कीजिए कि इतने दशकों तक गोलियां चलती रहीं। आज उस जिंदगी से मुक्ति का रास्ता खुल गया है। मैं न्यू इंडिया के नए संकल्प में शांत असम और पूर्वोत्तर का दिल से स्वागत करता हूं। 1993 में जो समझौता हुआ था, उसके बाद पूरी शांति स्थापित नहीं हो पाई। अब केंद्र, असम सरकार और बोडो आंदोलन से जुड़े संगठनों ने जिस अकॉर्ड पर साइन किया है वह अभूतपूर्व है।
27 जनवरी, 2020 को असम सरकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय और प्रतिबंधित नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के बीच दिल्ली में तिहरा समझौता हुआ था।
इसके तहत 1500 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया, जो करीब 50 साल से अलग बोडोलैंड की मांग कर रहे थे। असम में 2021 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
बोडो, असम का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है जो राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 6 प्रतिशत है। लंबे अरसे तक असम के बड़े हिस्से पर बोडो आदिवासियों का नियंत्रण रहा है।
असम के चार जिलों कोकराझार, बाक्सा, उदालगुरी और चिरांग को मिलाकर बोडो टेरिटोरिअल एरिया डिस्ट्रिक्ट को गठित किया गया है। बोडो समुदाय ने वर्ष 1966 में अलग बोडोलैंड बनाए जाने की मांग की थी।