प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस का जवाब दिया। इस दौरान पीएम मोदी ने कई बड़े बातें कहीं। पीएम ने कहा, मैं पूरी जिम्मेदारी और संविधान में विश्वास रखने की भावना के साथ कहता हूं कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) से देश के किसी नागरिक को कोई खतरा नहीं है।
इस दौरान पीएम मोदी ने मुस्लिमों को लेकर भी कुछ बातें कहीं और विपक्ष पर निशाना साधा कि वह मुस्लिमों के मन में गलतफहमी पैदा करके राजनीति कर रही है। पीएम ने कहा, ‘हमें याद दिलाया जा रहा है कि क्विट इंडिया और जय हिंद का नारा देने वाले हमारे मुस्लिम ही थे। दिक्कत यही है कि कांग्रेस की नजर में ये लोग हमेशा ही सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम थे, लेकिन हमारे लिए, हमारी नजर में वो भारतीय हैं, हिंदुस्तानी हैं।’
CAA के मुद्दे पर पीएम बोले- कुछ लोग कह रहे हैं कि इसे लाने की इतनी जल्दी क्या थी? कुछ माननीय सदस्यों ने कहा कि हम देश के टुकड़े करना चाहते हैं। विडंबना यह है कि ये वो लोग बोल रहे हैं जो देश के ‘टुकडे टुकडे’ करने वालों के बगल में खड़े होकर फोटो खिंचवाना पसंद करते हैं। कांग्रेस और उसके जैसे दलों ने जिस दिन भारत को भारत की नजर से देखना शुरू किया, उस दिन उन्हें अपनी गलती का अहसास होगा।
पीएम ने कहा, ‘मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं जो अल्पसंख्यकों के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते रहते हैं। क्या कांग्रेस को 1984 के दिल्ली के सिख विरोधी दंगे याद नहीं, क्या वो अल्पसंख्यक नहीं थे? हमारे सिख भाइयों के गले में टायर बांध बांध कर जला दिया गया था। इतना ही नहीं उन दंगों के आरोपियों को जेल में तो नहीं भेजा अपितु उन दंगों को भड़काने का आरोप जिन पर लगा था, उनको एक राज्य का मुख्यमंत्री बना देते हो।’
पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए मोदी बोले, इतने दशकों के बाद भी पाकिस्तान की सोच नहीं बदली है, वहां आज भी अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं, इसका ताजा उदाहरण ननकाना साहिब में देखने को मिला। ये केवल हिंदू और सिखों के साथ नहीं बल्कि वहां अन्य जो अल्पसंख्यक हैं, उनके साथ भी यही हो रहा है।
पीएम मोदी ने सीएए के पक्ष में नेहरू का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 5 नवंबर 1950 को इसी संसद में नेहरू जी ने कहा था कि इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि जो प्रभावित लोग भारत में बसने के लिए आये हैं, ये नागरिकता मिलने के अधिकारी हैं और अगर इसके लिए कानून अनुकूल नहीं हैं तो कानून में बदलाव किया जाना चाहिए। 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ, जो भारत-पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए हुआ। इस समझौते में धार्मिक अल्पसंख्यकों का जिक्र हुआ था।
नेहरू जी इनते बड़े विचारक थे, फिर उन्होंने उस समय वहां के अल्पसंख्यकों की जगह, वहां के सारे नागरिक को समझौते में शामिल क्यों नहीं किया? जो बात हम आज बता रहे हैं, वही बात नेहरू जी की भी थी। कांग्रेस की दिक्कत ये हैं कि वो बाते करती है, झूठे वादे करती है और दशकों तक उन वादों को टालती रहती है। आज हमारी सरकार अपने राष्ट्र निर्माताओं की भावनाओं पर चलते हुए फैसले ले रही है, तो इनकों दिक्कत हो रही है।