नई दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पांच देशों अफगानिस्तान, कतर, स्विट्जरलैंड, अमेरिका और मेक्सिको के दौरे की शुरुआत किया। अपनी इस यात्रा के पहले चरण में पीएम मोदी शनिवार को अफगानिस्तान पहुंचे और ईरान के साथ लगते और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हेरात प्रांत में भारत द्वारा तैयार की गयी ढांचागत बांध परियोजना का उद्घाटन किया। उद्घाटन के मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि यह बांध भारत और अफगानिस्तान के साहस से बना है।
पीएम ने कहा कि भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों में यह एक ऐतिहासिक पल है। उन्होंने बांध का नाम ‘फ्रेंडशिप डैंम’ रखने के लिए शुक्रिया कहा। पहले इसका नाम सलमा बांध था।
पीएम अपने इस विदेश प्रवास के दौरान मोदी 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के लिए स्विट्जरलैंड का सहयोग मांग सकते हैं। अपनी विदेश यात्रा के पहले पड़ाव में पीएम आज कतर भी जाएंगे।
प्रधानमंत्री अन्य द्विपक्षीय तथा क्षेत्रीय मुद्दों के अतिरिक्त अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के साथ देश के मौजूदा हालात एवं शांति प्रक्रिया को लेकर वार्ता भी करेंगे।
पहले सलमा बांध के रूप में जाने जाने वाले अफगान भारत मैत्री बांध को पश्चिमी हेरात जिले में 1700 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। इसका निर्माण भारत ने अफगानिस्तान के साथ विकास साझेदारी के तहत किया है। चिश्त ए शरीफ नदी के ऊपर बने इस बांध से 75 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जा सकेगा और साथ ही 42 मैगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री ने कल कहा था, ‘यह हमारी मित्रता का प्रतीक है तथा यह हेरात की उर्वरा भूमि को और अधिक उर्वरा बनाएगा, उम्मीदें पैदा करेगा और घरों को रौशन करेगा।’ हेरात प्रांत पूर्वी, मध्य और दक्षिण एशिया के प्राचीन कारोबारी मार्ग पर पड़ता है। हेरात से ईरान, तुर्कमेनिस्तान तथा अफगानिस्तान के अन्य हिस्सों की सड़कों को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
पिछले महीने भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने ईरान के चाबहार में एक कारोबार एवं परिवहन गलियारा स्थापित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। कठिन हालात में 1500 से अधिक भारतीय और अफगान इंजीनियरों ने कई सालों तक बांध के निर्माण के लिए काम किया।
पांच राष्ट्रों की यात्रा में अफगानिस्तान मोदी का पहला पड़ाव है जिसके दौरान वह कतर, स्विटजरलैंड, अमेरिका और मैक्सिको जाएंगे। मोदी पिछले वर्ष दिसंबर में भी काबुल की यात्रा पर आए थे और इस दौरान उन्होंने नौ करोड़ डॉलर की कीमत से भारत द्वारा निर्मित संसद भवन परिसर का उद्घाटन किया था।