नई दिल्ली [ TNN ] केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के विवादास्पद बयान को लेकर पिछले तीन दिनों से राज्यसभा न चलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बयान दिया। मोदी ने कहा कि मंत्री ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया, वह उचित नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मंत्री की पृष्ठभूमि हम सब जानते हैं, वह नई हैं, पहली बार सदन की सदस्य बनी हैं और उन्होंने माफी मांग ली है। अब जब मंत्री ने क्षमा मांग ली है, तो मैं आग्रह करूंगा कि देशहित में सदन की कार्यवाही को चलने दिया जाए।’
हालांकि, प्रधानमंत्री के बयान के बाद भी विपक्ष शांत नहीं हुआ और मंत्री के पद से हटाने की मांग पर अड़ा रहा है। हंगामा थमता न देख राज्यसभा की कार्यवाही कई बार स्थगित होने के बाद अंत में दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
राज्य सभा की आज बैठक शुरू होते ही प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले तीन दिनों से संसद में विपक्ष के हंगामे का कारण बने केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति के बयान को सिरे से खारिज करते हुए विपक्ष से सदन को चलने देने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने इस प्रकार की भाषा से बचने की नसीहत भी दी। मोदी ने कहा, ‘जिस बयान को लेकर विवाद चल रहा है…. जब इस बयान के विषय में मुझे जानकारी मिली, उसी दिन सुबह मेरी पार्टी की बैठक थी। उसमें मैंने बहुत कठोरता से इस प्रकार की भाषा को नामंजूर किया। और मैंने यह भी कहा कि हम सबको इन चीजों से बचना चाहिए।’ उन्होंन कहा, ‘यह प्रकरण हम सबके लिए सीख भी है कि कोई मर्यादा न तोड़े। मैं सदन से आग्रह करूंगा देशहित में काम को आगे बढ़ाया जाए।’
मोदी के बयान के बाद जब कांग्रेस की ओर से सदन में उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि मंत्री संविधान की शपथ लेता है और कोई उसका उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, सिर्फ माफी पर्याप्त नहीं है। सीपीएम के सीताराम येचुरी ने कहा कि माफी मांगने का अर्थ गलती को स्वीकार करना होता है, इसलिए निरंजन ज्योति को इस्तीफा देना चाहिए। जेडी(यू) नेता शरद यादव ने कहा कि एक ओर तो प्रधानमंत्री ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात करते हैं, वहीं उनके मंत्री ऐसा बयान देते हैं जिससे तनाव और वैमनस्य बढ़ता है। उन्होंने भी कहा कि इन मंत्री ने अपनी शपथ का उल्लंघन किया है इसलिए उन्हें पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
इसके बाद सत्ता पक्ष के कुछ सदस्यों ने प्रधानमंत्री के अनुरोध के बाद इस मुद्दे को और न बढ़ाए जाने की मांग की, जबकि विपक्षी सदस्य मांग कर रहे थे कि उनके नेताओं को इस मुद्दे पर बोलने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए। हंगामे के बीच ही संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि पिछले तीन दिन से इसी मुद्दे पर विपक्ष के नेता बोल रहे हैं और अब यह मामला खत्म हो जाना चाहिए।
इसी बीच, कांग्रेस, एसपी, जेडीयू और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य मंत्री को बर्खास्त करने की मांग करते हुए आसन के सामने आ गए। उप सभापति पी जे कुरियन ने इन सदस्यों से अपने स्थान पर वापस जाने और सदन की कार्यवाही चलने देने का अनुरोध किया। लेकिन उनके अनुरोध का कोई असर होते न देख कुरियन ने बैठक को पहले 15 मिनट के लिए और फिर दोपहर 11 बज कर 40 मिनट पर दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
दोपहर 12 बजे बैठक फिर शुरू होने पर सदन में वही नजारा था। सभापति हामिद अंसारी ने प्रश्नकाल शुरू करने का ऐलान किया, लेकिन विपक्षी सदस्य केंद्रीय मंत्री को बर्खास्त करने की मांग को लेकर नारे लगाते हुए आसन के समक्ष आ गए। सभापति ने सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने का अनुरोध किया। लेकिन हंगामा जारी रहने के कारण उन्होंने पहले 15 मिनट के लिए और फिर 12 बजकर 18 मिनट पर बैठक को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।