रेवाड़ी की बेटियों ने सरकार को झुका कर रख दिया। तो आज हम उस बेटी के बारे में बताने जा रहे है, जिसके एक पत्र ने PMO को भी हरकत में ला दिया था। दरअसल, हरियाणा के फतेहाबाद की 7वीं की छात्रा ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा था। उस पत्र में छात्रा हरप्रीत कौर ने अपने लिए कोई मांग नहीं की थी बल्कि उसकी मांग पूरे गांव के लिए थी। जिसको PMO इंकार नही कर पाया और 1 दिन के अंदर ही पूरी कर दी।
हरप्रीत कौर ने पत्र में लिखा कि, आदरणीय प्रधानमंत्री जी, मेरे गांव का नाम ‘गंदा’ है। किसी को बताते हैं तो शर्म आती है। लोग हमारे गांव का नाम लेकर बेइज्जती करते हैं। प्लीज बदल दीजिए…। दरअसल हरियाणा के फतेहाबाद जिले के रतिया खंड के गांव ‘गंदा’ की छात्रा हरप्रीत कौर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आठ जनवरी 2016 को पत्र लिखकर यह गुहार लगाई थी।
पीएमओ ने इस पत्र पर कार्रवाई करते हुए तत्काल फतेहाबाद व रतिया के प्रशासन को गांव का नाम बदलने व अन्य समस्याओं के समाधान करने के निर्देश दिए। पीएमओ का पत्र मिलते ही जिला प्रशासन तत्काल हरकत में आ गया और गांव का नाम बदलने को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी।
पीएमओ से जिला और रतिया प्रशासन को मिले जवाबी पत्र में गांव का नाम बदलने के अलावा अन्य समस्याओं के त्वरित समाधान की कार्रवाई शुरू करने के निर्देश दिए। हरकत में आईं रतिया की एसडीएम पूजा चौवरिया ने अधिकारियों की तत्काल बैठक बुलाकर गांव में व्याप्त सभी समस्याओं को दूर करने के बारे विचार-विमर्श किया।
पंचायत ने 1989 में की थी नाम बदलने की थी सिफारिश
गांव ‘गंदा’ की पंचायत ने चार मार्च 1989 को प्रस्ताव पास कर गांव का नाम बदलकर अजीत नगर रखने की सिफारिश की थी, लेकिन राजस्व विभाग एवं प्रशासन की अन्य औपचारिकताओं के पूरे न होने के चलते गांव का नाम बदलने की प्रक्रिया पर अमल नहीं हो सका था।
इसके बाद सरकारी और गैर सरकारी रिकॉर्ड में गांव का यही नाम चलता रहा, लेकिन हरप्रीत कौर ने प्रधानमंत्री कार्यालय को गांव के नाम बदलने एवं अन्य समस्याओं बारे लिख दिया। पीएमओ से मिले जवाबी पत्र के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया और अधिकारियों को तत्काल बैठक बुलवाकर फिर से प्रस्ताव मांगे जानी की प्रक्रिया शुरू की।
आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
भारत सरकार, नई दिल्ली
सविनय निवेदन यह है कि हमारे गांव का नाम ‘गंदा’ है। हम जहां भी जाते हैं, लोग हमारी बेइज्जती करते हैं हमारे गांव का नाम लेकर। प्लीज इसे बदल दीजिए। समस्याएं कई और भी हैं। स्कूल की चारदीवारी नहीं है। स्कूल टाइम में आवारा पशु अंदर घुस जाते हैं और हमें पढ़ाई में दिक्कत होती है। छोटे बच्चे तो अपने घर चले जाते हैं। हमारे स्कूल और साथ लगते पशु अस्पताल में तकरीबन 100 पौधे लगे हुए हैं, लेकिन चारदीवारी न होने से उनकी सुरक्षा भी नहीं है। स्कूल और अस्पताल की जमीन पर अवैध कब्जा कर भेड़ों का बाड़ा बना दिया गया है। इन सभी समस्याओं से निजात दिलवाएं।
@एजेंसी