उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के नजदीक सीतापुर जिले के कुछ गांवों में कुत्तों के आतंक से लोग परेशान हैं और अब तक कई बच्चों की जान भी जा चुकी है। इलाके में निगरानी के लिए पुलिस ड्रोन और नाइट विजन कैमरे का इस्तेमाल कर रही है इसके अलावा प्रशासन ने इस समस्या से निजात पाने के लिए कुत्तों को पकड़ने और मारने का काम शुरू कर दिया है। इस बीच प्रशासन पर आरोप लग रहा है कि बिना सही पहचान के ही कुत्तों को मारा जा रहा है और उनका पोस्टमॉर्टम किए बिना ही उन्हें जमीन में गाड़ दिया जा रहा है।
सुबह 5:30 बजे लखीमपुर बाइपास के नजदीक बिजवार में कुत्तों का झुंड होने की सूचना सीओ सिटी और एसडीएम को मिली। वे हथियारों और लाठियों से लैस दो दर्जन से ज्यादा पुलिसवालों और ग्रामीणों के साथ वहां पहुंचे।
कुत्तों का झुंड दिखा तो सभी असलहाधारियों ने कुत्तों को घेर लिया, दो फायर भी हुए। एक कुत्ते के पैर में गोली लगी। ‘पकड़ो, मारो, यही हैं…’ चिल्लाते हुए लोग उनके पीछे भागे लेकिन कुत्ते हाथ नहीं आए। पूरा मंजर देख रहे वहीं के दो लोग आपस में बतियाते हैं, ‘ ये कुत्ते तो किसी को नहीं काटते। यहीं बैठे रहते हैं, हम तो इन्हें रोटी खिलाते हैं।’
परसेंडी गांव में मुख्य सड़क से हटकर एक खेत की नाकेबंदी की गई थी। मुख्य मार्ग पर जिला प्रशासन की दो गाड़ियां खड़ी थीं। अंदर खेत के पास दो अफसर और पुलिसकर्मी खड़े निगरानी कर रहे थे।
इसी बीच दो बार गोली चलने की आवाज आई। कुछ देर बाद खेत से गांव के बच्चे फावड़ा लिए पुलिसवाले के साथ निकले। कुत्ते को मारकर वहीं खेत में अंदर दफना दिया गया था।
ये दोनों दृश्य बताते हैं कि सीतापुर पुलिस इन दिनों कुत्तों को मारने में जुटी है। इन कुत्तों को बच्चों पर हमला कर उन्हें मारने का दोषी बताया जा रहा है। जहां भी कुत्तों का झुंड दिख रहा है बस उन्हें मारा जा रहा है, बिना यह पता किए कि बच्चों पर हमला करने वाले कुत्ते यही हैं या कोई और। मारे गए कुत्तों को बिना पोस्टमॉर्टम खेतों में गाड़ दिया जा रहा है।
इसके बावजूद बच्चों पर हमले नहीं रुक रहे हैं। यह मान भी लिया जाए कि मार गए कुत्तों में से कोई कुत्ता ऐसा है जिसने बच्चों पर हमला किया तो पोस्टमॉर्टम न होने से उसके व्यवहार में ऐसा बदलाव क्यों आया? यह भी नहीं पता चल पाएगा। – एजेंसी