हरदा – बीती रात लगभग दो-तीन बजे के दरमयान, हरदा जिले के रहटगांव थाने के चार पुरुष पुलिस वाले वनग्राम देगा में ने एक आदिवासी के घर में जबरदस्ती घुसे और आदिवासी युवती सुनीता पिता मृत्य रामभरोस को उसके घर में घुसकर उठा ले गए| उसे क्यों ले जा रहे है, कहाँ ले जा रहे है इस संबंध में घर में मौजूद उसकी माँ फूलवती और भाई ईमरत को कोई जानकारी नहीं दी| सुनीता के दिल के वाल्व बदला गया है; उसे रोज खून पतला करने वाली गोली लेना जरुरी है वर्ना उसकी जान को खतरा हो सकता है|
पुलिस वाले उसे इस तरह घर से उठा ले गए कि उसे उसकी वो गोली भी नहीं लेनी दी| श्रमिक आदिवासी संगठन और समजवादी जन परिषद के और से आज जारी विज्ञप्ती में अनुराग मोदी ने कहा कि पुलिस ने, किसी भी महिला को सूर्य-अस्त के बाद गिरफ्तार नहीं करने के और गिरफ्तारी की सूचना परिजनों को देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का खुला उल्लघंन किया है|
पुलिस के इस गैरकानूनी और गुंडों की तरह किए गए कृत्य के खिलाफ पीडिता के भाई ईमरत ने हरदा न्य्यायालय में कोर्ट के रजिस्ट्रार को लिखित शिकायत पेश की| श्रमिक आदिवासी संगठन विरुद्ध म. प्र. शासन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सन 2012 में एक दिए गए आदेश के तहत संगठन के कार्य छेत्र – हरदा, बैतूल और खंडवा में एक शिकायत निवारण प्राधिकरण बना इसका सचिव कोर्ट के रजिस्ट्रार को बनाया गया| पुलिस को इस प्राधिकरण को आदिवासीयों की गिरफ्तारी की सूचना देना है और इस प्राधिकरण को उन्हें मुफ्त कानूनी मदद| इसे गलत कार्यवाही आदि मामलों में भी कार्यवाही के अधिकार है|
शमीम मोदी ने सवाल किया कि अगर पुलिस इस तरह गुंडों की तरह आदिवासी युवती को घर से आधी रात उठा ले जाएगी , तो फिर कानून व्यवस्था का क्या होगा| अगर उसके खिलाफ कोई वारंट था भी, तो उसे दिन के समय गिरफ्तार करना था, और उसकी सूचना बकायद उसके घर वालों को देनी चाहिए थी| ज्ञात हो जब आज शाम चार बजे पुलिस उसे अदालत परिसर में लाई तब उसके भाई को उसका पता चला|