बैतूल- भले ही, नरेन्द्र मोदी की डिग्री खोजने पर भी नहीं मिल रही हो| लेकिन, म. प्र. के बैतूल जिले की पुलिस ने पिछले 32 साल से एक शख्स – जो, आई आई टी में प्रोफेसर की नौकरी छोड़, म. प्र. के एक छोटे से आदिवासी गाँव में अपनी तमाम शैक्षणिक योग्यता को छुपाकर एक आम आदिवासी की तरह रह रहा था ! उसे अपनी सारी डिग्रीयां बताने पर मजबूर कर दिया|
अलोक सागर वैसे तो मूलत: दिल्ली के रहने वाले है ! लेकिन, पिछले 32 सालों से बैतूल और होशंगाबाद जिले के आदिवासी गाँव में गुमनामी कार्यकर्त्ता की जिन्दगी जी रह रहे है – जिसमें, 1990 से बैतूल जिले के एक ही छोटे से आदिवासी गाँव कोचामाऊ में रह रहे है| वो अपनी इस शैक्षणिक योग्यता को छिपाए, जंगल को हर-भरा करने के अपने मिशन में लगे थे; क्योंकि, वो उस आधार पर औरों से अलग नहीं खड़े होना चाहते थे|
किस्सा यूं है:- बैतूल जिले की पुलिस ने, उस जिले के घोडाडोंगरी विधानसभा में होने वाले उपचुनाव का बहाने लेकर, अलोक सागर को चुनाव तक गाँव ना छोड़ने पर जेल में डालने की धमकी दी; उन्हें आचार संहिता का बहाना बताया गया| वो, जेल जाने हेतु, आज दो जोड़ी कपडे लेकर शाहपुर थाने पहुंचे| जबकि, ना तो इस तरह का कोई नियम है और ना भाजपा के जो तमाम लोग वहां घूम रहे – जिसमें मुख्यमंत्री के ओ एस डी तक शामिल है, से यह सवाल नहीं किया जा रहा है|
लेकिन, वहां मौजूद मीडिया के साथियों के आग्रह पर आखिर आलोक सागर ने अपनी शैक्षणिक योग्यता 32 साल में पहली बार बताई ! उन्होंने 1973 में आई. आई. टी., दिल्ली से एम टेक किया; 1977 में हयूस्टन यूनिवर्सिटी, टेक्सास, अमेरिका से शोध डिग्री ली ! फिर, टेक्सास यूनिवर्सिटी से डेंटल ब्रांच में पोस्ट डॉक्टरेट और; समाजशास्त्र विभाग, डलहोजी यूनिवर्सिटी, कनाडा में फेलोशिप की|
@अनुराग मोदी